पटना हाईकोर्ट में आरक्षण का दायरा बढ़ाने के खिलाफ दायर हुई एक और याचिका

IMG 7962 jpeg

पटना हाईकोर्ट में राज्य सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों में एससी, एसटी,ईबीसी व अन्य पिछड़े वर्गों को 65 फीसदी आरक्षण दिये जाने को मोहन कुमार ने एक याचिका दायर कर चुनौती दी हैँ। इस मामलें पर चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ इसी मुद्दे पर दायर गौरव कुमार के याचिका के साथ 12 जनवरी,2024 को सुनवाई करेगी। इस याचिका में भी राज्य सरकार द्वारा 21 नवंबर,2023 को पारित  कानून को चुनौती दी गई है, जिसमें एससी,एसटी,ईबीसी व अन्य पिछड़े वर्गों को 65 फीसदी आरक्षण दिया गया है,जबकि सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए मात्र 35 फीसदी ही पदों पर सरकारी सेवा में जा सकते है।

अधिवक्ता दीनू कुमार ने अपनी याचिका में बताया है कि सामान्य वर्ग में ईडब्ल्यूएस के लिए 10 फीसदी आरक्षण रद्द करना भारतीय संविधान की धारा  14 और धारा 15(6)(b) के विरुद्ध है। उन्होंने बताया कि जातिगत सर्वेक्षण के बाद जातियों के अनुपातिक आधार पर आरक्षण का ये निर्णय लिया, न कि सरकारी नौकरियों में  पर्याप्त प्रतिनिधित्व के आधार पर ये निर्णय लिया।

उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा स्वाहने मामलें में  आरक्षण की सीमा पर 50 प्रतिशत का प्रतिबंध लगाया था। जातिगत सर्वेक्षण का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में  सुनवाई के फिलहाल लंबित है। इसमें ये सुप्रीम कोर्ट में इस आधार पर राज्य सरकार के उस निर्णय को चुनौती दी गई, जिसमें राज्य सरकार ने सरकारी नौकरियों में  आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से बढ़ा कर 65 फीसदी कर दिया था।

आज मोहन कुमार द्वारा दायर इस याचिका पर चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ के समक्ष रखा गया। कोर्ट ने इस मामलें की सुनवाई की तिथि 12 जनवरी, 2024 को इसी मुद्दे पर गौरव कुमार की याचिका के साथ सुनवाई की जाएगी। पूर्व में गौरव कुमार की याचिका पर कोर्ट ने इस राज्य सरकार के निर्णय पर रोक लगाने से इंकार करते हुए राज्य सरकार को 12 जनवरी, 2024 तक जवाब देने का निर्देश दिया था। इस मामलें की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता मोहन कुमार की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार व वरदान मंगलम और राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पी के शाही कोर्ट में उपस्थित थे।

Recent Posts