पटना : बिहार सरकार के मंत्री मंगल पांडे की अध्यक्षता में आज पटना के कृषि भवन के सभागार में पान की खेती को और अधिक लाभप्रद बनाने और इसमें आ रही तकनीकी समस्याओं के निराकरण विषय पर पान उत्पादक कृषकों के साथ एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें मंत्री द्वारा पान उत्पादक किसानों से सीधा संवाद किया गया। मंत्री ने कहा कि युवा पान उत्पादक किसानों की हौसला देखकर मुझे काफी प्रसन्नता हो रही है। उन्होंने कहा कि पान उत्पादक किसानों को अधिक आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए पान के आच्छादन क्षेत्र का विस्तार करने की आवश्यकता है। पान के प्रभेदों एवं गुणवत्तायुक्त बीज की उपलब्धता के साथ उत्पादन, भंडारण एवं विपणन की समुचित व्यवस्था हो, ताकि पान उत्पादक कृषकों को अधिक-से-अधिक लाभ प्राप्त हो सके।
मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि कृषि विभाग बिहार सरकार के द्वारा वित्तीय वर्ष 2024-25 से 2025-26 के लिए पान विकास योजना के तहत कुल 42.50 हेेक्टेयर में पान के क्षेत्र विस्तार करने हेतु पांच करोड़ रुपए की स्वीकृति प्रदान की गई है। पान की खेती बिहार के मुख्यतः 15 जिले यथा औरंगाबाद, गया, नालन्दा, नवादा, शेखपुरा, वैशाली, सारण, मुंगेर, पूर्वी चंपारण, खगड़िया, बेगूसराय, मुजफ्फरपुर, मधुबनी, दरभंगा और समस्तीपुर में की जाती है। पान की खेती के लिए बरेजा निर्माण किया जाता है। बरेजा का निर्माण सामान्यतः 100 वर्गमीटर, 200 वर्गमीटर एवं इसके गुणक क्षेत्रफल में बनाकर कृषकों द्वारा किया जाता है। उन्होंने कहा कि पान की खेती को बढ़ावा देने तथा कृषकों की आय में वृद्धि करने के उद्देश्य से बरेजा के निर्माण तथा पान की खेती में सहायतानुदान का प्रावधान किया गया है। जिसके लिए प्रत्येक कृषक को क्षेत्र सत्यापन के आधार पर न्यूनतम 11,750 रुपए तथा अधिकतम 35,250 रुपए सहायतानुदान दिए जाने का प्रावधान है।
कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल के कहा कि पान के खेती करने वाले कृषकों को भी किसान क्रेडिट कार्ड प्रदान करने की व्यवस्था की जाए। उन्होंने बताया कि पान के अनुसंधान एवं इसकी तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराने के दृष्टिकोण से नालंदा जिले के इस्लामपुर प्रखंड में पान अनुसंधान केंद्र की स्थापना की गई है। पान अनुसंधान केंद्र में शेडनेट में पान की खेती का प्रत्यक्षण तथा ऑयल एक्सट्रैक्शन यूनिट की स्थापना भी कराई गई है। साथ ही उद्यान महाविद्यालय, नूरसराय को पान पर अनुसंधान करने का निदेश दिया। पान उत्पादक एक-एक किसानों का सर्वेक्षण कराया जाएगा। पान से संबंधित योजना में ‘‘पहले आओ, पहले पाओ‘‘ को खत्म करते हुए लॉटरी के माध्यम से लाभुकों का चयन किया जाएगा।
उन्होंने आगे बताया कि आधुनिक तौर पर पान की खेती पर विशेष ध्यान देने के लिए समुचित सिंचाई की व्यवस्था, शेडनेट, शीत भंडारण, पान के लिए प्रसंस्करण यूनिट एवं विपणन केंद्र के संबंध में विस्तृत अध्ययन करने का निदेश दिया। इस कार्यशाला में कृषि निदेशक मुकेश कुमार लाल, उद्यान निदेशक अभिषेक कुमार, कृषि मंत्री के आप्त सचिव अमिताभ सिंह, विभागीय वरीय पदाधिकारी एवं पान अनुसंधान केंद्र, इस्लामपुर के वैज्ञानिकगण और पान उत्पादक किसान उपस्थित थे।