रेल अफसर विशेषाधिकार पास होने के बावजूद पूरा किराया देकर सफर कर सकेंगे। यह नियम रेलवे से विभिन्न सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) में प्रतिनियुक्ति पर तैनात वरिष्ठ अधिकारियों पर लागू होगा। नियमत यदि उनकी प्रतिनियुक्ति की मियाद समाप्त पर विस्तार मिलता है तो वह ट्रेन में फ्री यात्राएं नहीं कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें जेब ढीली करनी होगी।
रेलवे बोर्ड ने 10 मई को सभी जोन रेलवे महाप्रबंधकों, पीएसयू और रनिंग स्टाफ (मुख्य चल टिकट निरीक्षक) को ये निर्देश जारी कर दिए हैं। रेलवे बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि सार्वजनिक उपक्रमों में शीर्ष पदों पर रेल अफसर दो साल के लिए प्रतिनियुक्ति पर जाते हैं। अन्य पदों पर यह अवधि तीन साल की होती है।
कई मामलों में अफसरों की प्रतिनियुक्ति की मियाद बढ़ जाती है। यानी अधिकारी तीन साल से अधिक समय तक सार्वजनिक उपक्रमों में ड्यूटी करते हैं। नए नियम के तहत अब विस्तार हासिल करने वाले अधिकारी विशेषाधिकार पास पर फ्री में ट्रेन यात्राएं नहीं कर सकेंगे। उनको वास्तविक रेल किराया अदा करना होगा। क्लास-ए व बी श्रेणी के रेलवे अफसरों को साल में कुल छह विशेषाधिकार पास मिलते हैं।
रेलवे बोर्ड के पास खर्च का लेखा-जोखा नहीं
रेलवे बोर्ड के पास विशेषाधिकार पास और प्रिविलेज टिकट ऑर्डर (पीटीओ) यात्रा करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों पर होने वाले खर्च का लेखा-जोखा नहीं है। भाजपा सांसद राधा मोहन सिंह की अध्यक्षता वाली रेल संबंधी संसद की स्थायी समिति द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में रेलवे बोर्ड ने यह जवाब दिया था। इस पर समिति ने हैरानी जताई। विदित हो कि साल में रेल कर्मचारी को तीन और अधिकारी को छह विशेषाधिकार पास मिलते हैं। पास के दुरुपयोग करने पर कर्मी को बर्खास्त करने के सख्त नियम हैं।