पिता की जान बचाने के लिए लीवर डोनेट करेगी 17 साल की बेटी, कोर्ट ने दी मंजूरी

Screenshot 20240627 151021 Chrome jpg

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने लीवर (यकृत) की गंभीर बीमारी से जूझ रहे एक किसान को गुरुवार को इस बात की मंजूरी दी कि वह प्रतिरोपण सर्जरी (ट्रांसप्लांट) के लिए अपनी 17 वर्षीय बेटी से इस अंग का हिस्सा दान में ले सकता है। इंदौर के ग्रामीण क्षेत्र में खेती-किसानी करने वाले 42 वर्षीय शिवनारायण बाथम ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करके गुहार लगाई थी कि उनकी 17 वर्षीय बेटी उन्हें अपने लीवर का हिस्सा दान करने को तैयार है और उन्हें प्रतिरोपण की अनुमति दी जाए।

कोर्ट ने कहा- सावधानी से जल्द से जल्द की जाए सर्जरी

हाईकोर्ट के जस्टिस विशाल मिश्रा के सामने याचिका पर सुनवाई के दौरान शासकीय वकील ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार की ओर से गठित चिकित्सकीय बोर्ड ने नाबालिग लड़की की स्वास्थ्य जांच के बाद पाया है कि वह अपने बीमार पिता को लीवर का हिस्सा दान कर सकती है। कोर्ट ने चिकित्सकीय बोर्ड की इस रिपोर्ट के मद्देनजर बाथम की याचिका मंजूर कर ली। एकल पीठ ने यह ताकीद भी की कि लीवर ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया तमाम एहतियात बरतते हुए जल्द से जल्द पूरी की जाए।

6 साल से लीवर की गंभीर बीमारी से जूझ रहे पिता

बाथम के वकील निलेश मनोरे ने बताया कि पिछले 6 साल से लीवर की गंभीर बीमारी से जूझ रहे उनके मुवक्किल शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं। मनोरे ने बताया कि उनके मुवक्किल की पांच बेटियां हैं और उन्हें अपने लीवर का हिस्सा दान करने की इच्छा जताने वाली बेटी उनकी सबसे बड़ी संतान है।

 

‘मुझे अपनी बेटी पर गर्व’

सबसे बड़ी बेटी प्रीति 31 जुलाई को 18 साल की हो जाएगी। मनोरे ने बताया, ‘‘बाथम के पिता 80 साल के हैं, जबकि उनकी पत्नी मधुमेह की मरीज हैं। इसलिए उनकी बेटी उन्हें लीवर का हिस्सा दान करने के लिए आगे आई ताकि वह अपने बीमार पिता की जान बचा सके।’’ बाथम ने कहा, “मुझे अपनी बेटी पर गर्व है।”

Kumar Aditya: Anything which intefares with my social life is no. More than ten years experience in web news blogging.
Recent Posts