मां जब ठान लें तो चाहे वह कितनी भी मुसीबत में क्यों नहीं हों बच्चों पर इसकी छाया तक नहीं आने देती हैं और कठिन समय का मुकाबला करते हुए अपने बच्चों को एक बड़े मुकाम तक पहुंचा देती हैं। इसी तरह की कहानी है विक्रमशिला निवासी उमा सिंह की।
उमा सिंह के पति धीरेन्द्र कुमार शाही दरभंगा में कलेक्ट्रेट में कार्यरत थे। 2006 में उनका निधन हो गया तो मानों उमा पर पहाड़ टूट पड़ा। वह भागलपुर अपने मायके पिता हरिवंश मणि सिंह के पास चली आईं। यहां अपने बेटा यश विशेण और बेटी कीर्ति शाही का नामांकन कराया। लेकिन तीन वर्ष बाद 2009 में उनकी नौकरी दरभंगा में हो गई तो वह फिर से बच्चों को लेकर चली गईं।नौकरी के साथ बच्चों की पढ़ाई पर काफी ध्यान दिया। यश वहां 10वीं में टॉप किया।
12वीं पास कर मर्चेंट नेवी में स्नातक करने के बाद 2019 में एक अच्छी कंपनी में नौकरी हो गई। लेकिन उसने नौकरी छोड़ यूपीएससी की तैयारी करने की ठानी। 2022 में यश ने यूपीएससी में 647वां रैंक पाया। लेकिन मां ने और तैयारी करने को कहा। 2023 में 624 रैंक प्राप्त किया और भारतीय राजस्व सेवा मिला। उमा सिंह ने बताया कि उन्होंने अकेली महिला होते हुये बेटे को पढ़ने के लिये सारी सुविधाएं दीं। वहीं बेटी कीर्ति को भी उन्होंने एमबीए कराया ।