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पुणे पोर्श कांड में बड़ा एक्शन, फॉरेंसिक विभाग के एचओडी समेत दो डॉक्टर गिरफ्तार, जानें क्या है आरोप?

पुणे पोर्शे कांड में क्राइम ब्रांच ने फॉरेंसिक विभाग के एचओडी समेत दो डॉक्टरों को गिरफ्तार किया है. दोनों पर आरोप है कि उन्होंने नाबालिग आरोपी को बचाने के लिए उसके ब्लड सैंपल में हेरफेर किया था.

मुख्य तथ्य

  • पुणे पोर्शे कांड में क्राइम ब्रांच का एक्शन
  • फॉरेंसिक विभाग के HoD समेत दो डॉक्टर गिरफ्तार
  • नाबालिग के ब्लड सैंपल में हेरफेर करने का है आरोप

महाराष्ट्र के पुणे के पोर्शे कार हिट एंड रन मामले में पुलिस ने बड़ा एक्शन लिया है. इस मामले में अब क्राइम ब्रांच ने दो डॉक्टरों को गिरफ्तार किया है. जिसमें फॉरेंसिक विभाग का एचओडी भी शामिल है. दोनों पर आरोप है कि उन्होंने मेडिकल रिपोर्ट में गड़बड़ी की थी और सबूतों से छेड़छाड़ की. दोनों पर आरोप लगा है कि इन दोनों ने ही नाबालिग आरोपी के ब्लड रिपोर्ट में हेरफेर किया था. बता दें कि पुणे पुलिस ने नाबालिग आरोपी का ब्लड सैंपल जांच के लिए ससुन अस्पताल भेजा था. लेकिन यहां उसका ब्लड सैंपल गायब हो गया. जिससे उसके सैंपल में शराब की पुष्टि नहीं हुई।

दो इंजीनियरों की हुई थी मौत

बता दें कि पुणे पोर्शे कार की टक्कर से दो इंजीनियरों की मौत हो गई थी. कार को एक नाबालिग चला रहा था. जो घटना के वक्त शराब के नशे में था. इस मामले में पुलिस ने नाबालिग के बाद उसके पिता और उसके दादा को भी गिरफ्तार कर लिया है. क्राइम ब्रांच के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए डॉक्टर्स में डॉ. श्रीहरि हरलोर और डॉ. अजय तावरे का नाम शामिल है. फिलहाल, क्राइम ब्रांच दोनों डॉक्टरों से पूछताछ कर रही है. इसके बाद इन दोनों को कोर्ट में पेश किया जाएगा.

ब्लड सैंपल में की थी गड़बड़ी

क्राइम ब्रांच के मुताबिक, इन दोनों ने मेडिकल रिपोर्ट में गड़बड़ी की थी और सबूतों से छेड़छाड़ की थी. क्राइम ब्रांच अब इस जांच में जुटी है कि आखिर किसके कहने पर आरोपी नाबालिग की मेडिकल रिपोर्ट में इन डॉक्टरों ने गड़बड़ी की? फिलहाल, दोनों डॉक्टरों से क्राइम ब्रांच की पूछताछ जारी है. इन दोनों को कोर्ट में पेश किया जाएगा और क्राइम ब्रांच रिमांड लेने की कोशिश करेगी.

बता दें कि घटना के बाद नाबालिग आरोपी को सबसे पहले सुबह 11 बजे मेडिकल टेस्ट के लिए ससून अस्पताल ले जाया गया था. जहां उसके ब्लड सैंपल को ऐसे शख्स के ब्लड सैंपल से बदल दिया गया था, जिसने शराब का सेवन नहीं किया था. जिससे उसकी रिपोर्ट में शराब पीने की पुष्टि नहीं हुई. इससे संदेह पैदा हो गया था. इसके बाद दोबारा ब्लड रिपोर्ट आने पर शराब ने पुष्टि की. इससे बाद पता चला कि 19 मई को सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने नाबालिग को बचाने के लिए ब्लड सैंपल के साथ छेड़छाड़ की थी.

जानें क्या है पूरा मामला?

दरअसल, पुणे के कल्याणी नगर इलाके में 19 मई को तड़के रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल के 17 वर्षीय बेटे ने अपनी स्पोर्ट्स कार पोर्श से दो बाइक सवार इंजीनियों को टक्कर मार दी थी. जिससे दोनों की मौके पर ही मौत हो गई थी. घटना के 14 घंटे बाद आरोपी नाबालिग को कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ जमानत दे दी. कोर्ट ने नाबालिक आरोपी को 15 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करने और सड़क दुर्घटनाओं के प्रभाव-समाधान पर 300 शब्दों का निबंध लिखने का निर्देश दिया था. हालांकि, इसके बाद पुलिस जांच में पता चला कि हादसे के वक्त आरोपी शराब के नशे में था और बेहद तेज गति से कार चला रहा था. फिलहाल नाबालिग सुधार गृह में है.

दो पुलिसकर्मियों पर भी गिरी राज

बता दें कि इस घटना से जुड़े दो पुलिस वालों पर हाल ही में लापरवाही बरतने के मामले में गाज गिरी थी. ये दोनों पुलिसकर्मी हादसे के बाद सबसे पहले घटनास्थल पर पहु्ंचे थे. लेकिन दोनों ने घटना के बारे में अपने सीनियर्स और कंट्रोल रूम को जानकारी नहीं दी. इसके बाद येरवडा पुलिस स्टेशन के इन दोनों पुलिसकर्मियों को पुणे आयुक्त ने निलंबित कर दिया.


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