पुणे रोडरेज केस: कब हुई आखिरी बात, क्या कहा था बेटी ने? अश्विनी के पिता ने बताया

pune porsche accident news

पुणे रोडरेज में अपनी जान गंवाने वाले दोनों सॉफ्टवेयर इंजीनियरों का शव सोमवार शाम उनके घर पहुंचा. आज शवों का अंतिम संस्कार किया गया. जबलपुर के शक्तिनगर के पास साकार हिल्स की रहने वाली सॉफ्टवेयर इंजीनियर अश्विनी कोष्टा का शव जब उनके घर पहुंचा तो माता-पिता, भाई और रिश्तेदार फूट-फूटकर रोने लगे. बेटी का शव देख पिता बेहोश हो गए. होश आता तो रोने लगते और यही कहते, “हमारे सपने टूट गए, मेरी इकलौती बेटी चली गई, घर तबाह हो गया.”

अश्विनी कोष्टा के पिता सुरेश कोष्टा ने बताया कि बेटी ने फोन पर बताया था कि वह एक पार्टी में जा रही है. डिनर भी वहीं पर करेगी. इसके बाद जब दोबारा कॉल आई तो पता चला कि उसकी एक्सीडेंट में मौत हो गई है. चंद घंटों पहले ही बेटी से बात की थी. पहले तो विश्वास ही नहीं हुआ, लेकिन धीरे-धीरे फोन आने शुरू हो गए. तब सच में लगा कि कुछ हो गया है. वहीं उन्होंने नाबालिग आरोपी की जमानत का विरोध किया और कहा कि महाराष्ट्र पुलिस की लापरवाही से आरोपी को जमानत मिल गई. महाराष्ट्र पुलिस बिकी हुई है.

कार से युवक-युवती को मारी टक्कर

पुणे के कल्याणीनगर में शनिवार रात तेज रफ्तार पोर्श कार ने अश्विनी कोष्टा और उसके फ्रेंड अनीश अवधिया की बाइक को उड़ा दिया था. मौके पर ही दोनों की मौत हो गई थी. कार शहर के जाने-माने बिल्डर विशाल अग्रवाल का बेटा वेदांत अग्रवाल (17) चला रहा था. लोगों ने उसे पकड़कर पहले तो जमकर पीटा था, फिर पुलिस के हवाले कर दिया था. आरोपी के नाबालिग होने के कारण कोर्ट ने उसे 15 घंटे के अंदर जमानत पर रिहा कर दिया. साथ ही जमानत पर कुछ शर्ते लगाई, जिसको लेकर काफी चर्चा हो रही है.

नशे में धुत होकर कार ड्राइव कर रहा था आरोपी

नाबालिग आरोपी वेदांत अग्रवाल का नशे में धुत होने का वीडियो भी वायरल हुआ. आरोप लगाया जा रहा है कि पुणे पुलिस ने जानबूझकर हत्या की धारा नहीं लगाई. जिस वजह से आरोपी नाबालिग को जमानत मिल गई. मृतक अश्विनी के माता-पिता ने आरोपी की जमानत का विरोध किया और कहा कि महाराष्ट्र पुलिस बिकी हुई है. ठीक से जांच न करने के चलते आरोपी को जमानत मिल गई. मामला तूल पकड़ता देख पुणे पुलिस ने आरोपी के पिता बिल्डर विशाल अग्रवाल को भी आरोपी बनाकर गिरफ्तार कर लिया.

 

नाबालिग आरोपी की जमानत का विरोध

इस मामले में पुलिस की ढीली कार्रवाई और आरोपी को मिली जमानत की शर्तों से पीड़ित परिवार और भी दुखी है. जबलपुर की सॉफ्टवेयर इंजीनियर अश्विनी कोष्टा के घर उनका पार्थिव शरीर पहुंचने के बाद मातम छा गया. अश्विनी के पिता सुरेश कोष्टा बेटी का शव देखने के बाद बार-बार बेहोश हो जा रहे थे. उन्होंने बताया कि अश्विनी उनकी इकलौती बेटी थी. पढ़ाई के लिए पुणे गई थी. वहीं पर जॉब शुरू कर दी. पिता सुरेश कोष्टा ने कहा कि बेटी के जाने से उनके सारे सपने टूट गए हैं.

 

हादसे से पहले बेटी का आया था फोन

अश्विनी के भाई संप्रीत ने कहा कि उनकी बहन ने पुणे से पढ़ाई की और चार महीने पहले वहीं पर जॉब करने लगी. वह पढ़ने में बहुत तेज थी. मैं घर का बड़ा हूं, जबकि अश्विनी मुझसे छोटी थी. बहन के जाने से अब मैं अकेला हो गया हूं. संप्रीत ने कहा कि वो मुझसे और पापा से रोज बात करती थी. उसने फोन पर कहा था कि बाहर डिनर के लिए जा रही है. फिर उसकी मौत की खबर आई. हादसे के बाद उसके दोस्तों ने उसे फोन किया था. संप्रीत ने उम्मीद जताई कि इस मामले में पुलिस आरोपी नाबालिग पर कड़ी कार्रवाई करेगी.

 

क्या बोले अनीश अवधिया के पिता?

वहीं अश्विनी के साथ इस दुर्घटना में जान गंवाने वाले अनीश अवधिया का परिवार भी बेटे के जाने से सदम में है. अनीस के पिता अखिलेश कुर्डिया ने कहा कि ये गैर इरादतन हत्या नहीं बल्कि हत्या है. आरोपी की जमानत की शर्त हास्यास्पद है. नए कानून के तहत सजा सात साल है. महाराष्ट्र पुलिस बिक ​​चुकी है. धारा 304 के तहत आरोपी पर कार्रवाई की जाए. उसे नाबालिग बताकर रिहा कर दिया गया. अगर वह आम आदमी होता तो पुलिस उसे जाने नहीं देती. वह एक बिजनेसमैन का बेटा है. इसलिए उसे रिहा कर दिया गया. उन्होंने इस बात की भी आलोचना की कि किसी नाबालिग के हाथ में ऐसी कार देना ‘मानव बम’ के समान है.

Kumar Aditya: Anything which intefares with my social life is no. More than ten years experience in web news blogging.