भगवान शिव का प्रिय महीना सावन चल रहा है। चार सावन सोमवार बीत चुके हैं और पांचवां तथा आखिरी सावना सोमवार 19 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माने जाने वाला पर्व रक्षाबंधन भी है। सावन माह में पड़ने के कारण इस माह व्रत और त्योहारों का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। इस माह में पुत्रदा एकादशी व्रत भी आता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और हिन्दू धर्म में इस दिन का खास महत्व है।
पुत्रदा एकादशी हर साल दो बार आती है। एक पुत्रदा एकादशी सावन माह में आती है जो इस बार शुक्ल पक्ष की एकादशी को 16 अगस्त के दिन मनाई जाएगी। इस दिन व्रत-पूजन और दान-पुण्य का खास महत्व बताया गया है। इसे करने से भगवान श्री हरि की कृपा साधकों पर बरसती है तथा समस्त दुखों का अंत होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो साधक इस व्रत को करते हैं उनको संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है तथा जीवन में खुशहाली आती है।
पुत्रदा एकादशी की शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार पुत्रदा एकादशी 15 अगस्त के दिन सुबह 10:26 बजे से शुरू होगी और इसका 16 अगस्त को सुबह 9:39 बजे इसका समापन होगा। उदयातिथि 16 अगस्त को रहने के कारण पुत्रदा एकादशी का व्रत साधत 16 अगस्त को कर सकते हैं। इस दिन भगवान श्रीहरि के साथ मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। हिन्दू धर्म में इस दिन दान-पुण्य का भी खास महत्व बताया गया है। इस दिन गरीबों को अन्न-धन तथा वस्त्र आदि दान करें। इससे भगवान की विशेष कृपा साधकों को मिलेगी।
पुत्रदा एकादशी की पूजा विधि
पुत्रदा एकादशी का व्रत करने वाले साधक इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान करें तथा साफ वस्त्र धारण करें। इस दिन पीले कपड़े पहनना शुभ रहता है। अब भगवान का ध्यान कर व्रत का संकल्प करें। पूजा के लिए चौकी लें और गंगाजल छिड़क कर उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। तत्पश्चात भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें और घी का दीपक जलाएं। पूजा में भगवान को धूप-दीप के बाद पंचमेवा, फल, मिठाई आदि अर्पित करें। पीले फूल भी चढ़ाएं। अब भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी पूजा के मंत्रों का जाप करें तथा अंत में आरती करें। पूजा में हुई भूलों के लिए माफी मांगे था पूजा के बाद सभी में प्रसाद बांटे।