घड़ी की सूई के 12:01 पर पहुंचते ही झंडा चौक पर राष्ट्रीय ध्वज लहरा उठा। यह परंपरा 1947 से ही चली आ रही है। भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय वाघा बार्डर के अलावा पूर्णिया के झंडा चौक पर हर साल आधी रात को तिरंगा फहराया जाता है। झंडोत्तोलन स्वतंत्रता सेनानी पट्टो बाबू के परिवार के सदस्य विपुल सिंह ने किया।
विपुल सिंह ने कहा कि 1947 में जब घड़ी की सूई 12.01 बजे पर पहुंची, और आजादी की घोषणा हुई, उसी समय पूर्णिया के स्वतंत्रता सेनानी और उनके दादा रामेश्वर प्रसाद सिंह ने रामरतन साह और शमशुल हक के साथ मिलकर मध्य रात्रि में भट्ठा बाजार में झंडा फहराया था।