पेट्रोल और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने पारंपरिक स्टील एलपीजी सिलेंडरों को धीरे-धीरे नए जमाने के फाइबर आधारित कंपोजिट सिलेंडरों से बदलने की घोषणा की है। यह जानकारी पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में राज्य मंत्री सुरेश गोपी ने राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में दी।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि 1 जुलाई तक सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) द्वारा सेवा प्रदान किए जाने वाले 32.68 करोड़ सक्रिय घरेलू एलपीजी उपभोक्ता हैं। ओएमसी के पास वर्तमान में 50 करोड़ से अधिक सिलेंडर प्रचलन में हैं, जो मुख्य रूप से स्टील के सिलेंडर हैं। विकल्प और भविष्य की नई मांग को पूरा करने के लिए, ओएमसी नियमित रूप से अपने भंडार की समीक्षा करते हैं। साथ ही नए सिलेंडरों की खरीद के लिए निविदाएं जारी करते हैं।
तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) निविदा आवश्यकताओं को पूरा करने वाले किसी भी निर्माता से प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से मिश्रित सिलेंडर खरीदती हैं। वर्तमान में, देश में कहीं भी ओएमसी द्वारा कोई मैन्युफैक्चरिंग सुविधा स्थापित करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
मंत्रालय ने बताया कि कम्पोजिट सिलेंडर पीएसयू ओएमसी की हाल ही में पेश की गई पेशकश है और अभी भी सीमित प्रचलन में है। इन सिलेंडरों में तीन-परत की संरचना होती है। सिलेंडर एक ब्लो-मोल्डेड हाई-डेंसिटी पॉलीइथिलीन (एचडीपीई) इनर लाइनर से बना होता है, जो पॉलिमर-रैप्ड फाइबर ग्लास की एक कम्पोजिट परत से ढका होता है और एचडीपीई बाहरी जैकेट से सुसज्जित होता है। हालांकि ये सिलेंडर नियमित स्टील सिलेंडर की तुलना में महंगे होते हैं लेकिन वजन में हल्के, जंग-मुक्त, पारदर्शी और सुरक्षित होते हैं।
तेल विपणन कंपनियां विभिन्न तरीकों से कम्पोजिट सिलेंडरों को बढ़ावा देती हैं, जैसे उपभोक्ताओं में जागरूकता पैदा करना, बैनर और स्टैन्डी प्रदर्शित करना, होम डिलीवरी के दौरान पैम्फलेट वितरित करना और अन्य विपणन पहल आदि।