प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि नालंदा का नवजागरण भारत के सामर्थ्य का परिचय देगा। नालंदा बताएगा कि जो राष्ट्र मजबूत मानवीय मूल्यों पर खड़े होते हैं, वो इतिहास को पुनर्जीवित करके बेहतर भविष्य की नींव रखना जानते हैं। नालंदा सिर्फ नाम नहीं, यह पहचान और सम्मान भी है। पीएम बुधवार को नालंदा के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस के उद्घाटन के बाद समारोह को संबोधित कर रहे थे। इसके पहले उन्होंने प्राचीन नालंदा महाविहार के भग्नावशेषों के भी दर्शन किये।
अपने 22 मिनट के संबोधन में प्रधानमंत्री ने जहां भारत के विश्वगुरु बनने में प्राचीन नालंदा महाविहार की गौरवशाली भूमिका का उल्लेख किया, वहीं यह भी याद दिलायी कि शिक्षा में बुलंदियों पर होने के कारण ही उस समय भारत आर्थिक व सांस्कृतिक रूप से भी विश्व का नेतृत्व करता था। उन्होंने कहा कि यह विकसित देशों के अनुभव से साबित होता है। वे आर्थिक व सांस्कृतिक रूप से लीडर तब बने जब शिक्षा लीडर बने।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के अपने लक्ष्य पर काम कर रहा है। अपनी शिक्षा प्रणाली को बदल रहा है। भारतीय और विदेशी विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग से डीकिन व वोलोंगोंग जैसे अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के नए परिसर खोले गये। उन्होंने कहा-इन सभी प्रयासों से भारतीय छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए देश में ही सर्वश्रेष्ठ शिक्षण संस्थान मिल रहे हैं।
ये भी रहे मौजूद विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर, विदेश राज्य मंत्री पवित्रा मार्ग्रेट, बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी व विजय कुमार सिन्हा, मंत्री श्रवण कुमार, विजय कुमार चौधरी, नालंदा विवि के चांसलर डॉ. अरविंद पनगढ़िया, कुलपति डॉ. अभय कुमार सिंह।
नालंदा का अर्थ है- न अलम् ददाति इति नालंदा अर्थात, जहां शिक्षा का, ज्ञान के दान का अविरल प्रवाह हो। नालंदा केवल नाम नहीं है। एक पहचान है, एक सम्मान है। आग की लपटों में पुस्तकें भले जल जाएं लेकिन ज्ञान को नहीं मिटा सकतीं। नालंदा के ध्वंस ने भारत को अंधकार से भर दिया था। अब इसकी पुनर्स्थापना भारत के स्वर्णिम युग की शुरुआत करने जा रही है।
-नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री