प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के भारत मंडपम में विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र का उद्घाटन किया। भारत पहली बार विश्व धरोहर समिति की बैठक की मेजबानी कर रहा है। यह बैठक जो इस महीने की 31 तारीख तक जारी रहेगी। इस अवसर पर श्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने और विरासत संरक्षण प्रयासों में स्थानीय समुदायों को शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि भारत की विरासत केवल इतिहास नहीं बल्कि विज्ञान भी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में सरकार, देश के 350 से अधिक प्राचीन विरासत स्थलों को वापस लायी है। उन्होंने कहा कि प्राचीन विरासत की वापसी वैश्विक उदारता और इतिहास के प्रति सम्मान को दर्शाती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह आयोजन, दुनिया की सबसे पुरानी जीवित सभ्यताओं में से एक, भारत में हो रहा है।
प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि भारत यूनेस्को विश्व धरोहर केंद्र के लिए दस लाख डॉलर का योगदान देगा। उन्होंने कहा कि इस अनुदान का उपयोग क्षमता निर्माण, तकनीकी सहायता और विश्व धरोहर स्थलों के संरक्षण के लिए किया जाएगा। श्री मोदी ने कहा कि अनुदान का उपयोग विशेष रूप से ग्लोबल साउथ के देशों के लिए किया जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत का दृष्टिकोण विकास भी है और विरासत भी। उन्होंने कहा कि पिछले दस वर्षों में भारत ने आधुनिक विकास के नए आयाम छुए हैं और अपनी विरासत को संरक्षित करने के लिए अभूतपूर्व कदम भी उठाए हैं। श्री मोदी ने कहा कि पूर्वोत्तर के ऐतिहासिक मोइदाम को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल करने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि यह भारत का 43वां विश्व धरोहर स्थल और पूर्वोत्तर भारत की पहली धरोहर होगी, जिसे सांस्कृतिक विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया है।
इस अवसर पर, संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि यह कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्रतिनिधियों को भारत की समृद्ध संस्कृति, विरासत और इसकी विविधता को प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि भारत अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखने में सरकार द्वारा किए गए प्रयासों का प्रदर्शन करेगा। श्री शेखावत ने कहा कि बैठक के दौरान विश्व धरोहर सूची में नए स्थलों को नामांकित करने के प्रस्तावों पर भी चर्चा की जाएगी।