गुरु-शिष्य प्रेम का एक अनोखा मामला सामने आया है। टीचर के तबादले के बाद उनके 133 छात्र उसी स्कूल में पढ़ने के लिए चले गए जिस स्कूल में टीचर का ट्रांसफर हुआ था। यह अनोखा मामला तेलांगना के एक सरकारी स्कूल है। दरअसल, यहां एक सरकारी स्कूल से जब एक शिक्षक का तबादला 3 किलोमीटर दूर दूसरे स्कूल में हुआ तो उस स्कूल के छात्रों ने पुराने स्कूल को छोड़कर उसी स्कूल में अपना दाखिला करा लिया जहां उस शिक्षक का तबादला हुआ था। ऐसी अनोखी मिसाल पेश करने वालों में 133 छात्र शामिल है।
जे श्रीनिवास तेलंगाना के एक सरकारी स्कूल में बतौर शिक्षक कार्यरत थे। उनका अपने छात्रों के साथ बेहद लगाव था लेकिन जब छात्रों को ये पता चला कि अब श्रीनिवास सर का ट्रांसफर किसी और स्कूल में हो गया है तो वह सहन नहीं कर पाए और अध्यापक से दूरी बर्दाश्त न करने को लेकर सभी छात्र भी उसी स्कूल में चले गए।
अपने शिक्षक के प्रति छात्रों के इस लगाव के बारे में जब तेलंगाना के शिक्षा अधिकारियों को पता चला तो वो भी हैरान रह गए। मंचेरियल जिले के शिक्षा अधिकारी ने कहा कि अकसर होता है कि छात्र अपने शिक्षक से ज्यादा जुड़ाव महसूस करते हैं और जब उस शिक्षक का तबादला किसी दूसरे स्कूल में होते है तो छात्रों को इससे बेहद दुख पहुंचता है।
छात्रों को जब अपने श्रीनिवास सर के दूसरे स्कूल में तबादले की खबर मिली तो वो पहले तो इसे मजाक समझ बैठे, लेकिन जब उनको सच्चाई पता चली तो मानों मातम सा फैल गया, हर कोई रो रहा था जैसे कि छात्रों पर दुखों का पहाड़ टूट गया हो।
श्रीनिवास ने इस बीच छात्रों को ढांढस बांधया लेकिन छात्र इस दूरी को बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं था। श्रीनिवास ने कहा, मैं तुम्हारे संपप्क में रहने की कोशिश करूंगा, तुम सब अच्छे से आगे की पढ़ाई करना, लेकिन छात्र मानने वाले नहीं थे। उन्होंने कहा कि सर, हम आपको नहीं जाने देंगे अगर आप फिर भी जाएंगे तो हम उसी स्कूल में दाखिला लेंगे जहां आप ज्वाइन करने जा रहे हैं। बता दें कि श्रीनिवास का ट्रांसफर अकापेल्लिगुडा में हुआ जो पुराने स्कूल से तीन किलोमीटर दूर है।
वहीं इस मामले में श्रीनिवास ने कहा कि अभिभावकों का यह फैसला मेरे पढ़ाने के तरीके के प्रति उनके विश्वास को दिखाता है। मैं अपनी क्षमता के अनुसार बच्चों को पढ़ाता था। आगे भी मैं इसी तरह से बच्चों को पढ़ाऊंगा। आज के दौर में सरकारी स्कूल पहले से काफी बेहतर हो चुके हैं और मैं चाहूंगा कि अभिभावक सरकारी स्कूल में ही अपने बच्चों को भेजें।