भागलपुर : पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने विक्रमशिला विश्वविद्यालय के जीर्णोदार के लिए काफी चिंतित हैं। अश्वनी चौबे ने कहा कि जब नालंदा विश्वविद्यालय का जीर्णोदार हो सकता है तो ऐतिहासिक विक्रमशिला विश्वविद्यालय का जीर्णोदार क्यों नहीं हो सकता है ।
अश्वनी चौबे ने कहा कि मैं खुद देश के राष्ट्रपति महामहिम द्रौपदी मुर्मू जी से आग्रह किया है कि विक्रमशिला विश्वविद्यालय का जीर्णोद्धार किया जाए ताकि जो खंडहर में तब्दील हो गया है उसे पुनर्जीवित किया जाए।
विक्रमशिला विश्वविद्यालय प्राचीन भारत के प्रमुख शिक्षा केंद्रों में से एक था। यह बिहार राज्य में, गंगा नदी के किनारे स्थित था। विक्रमशिला का निर्माण पाल वंश के राजा धर्मपाल (770–810 ईस्वी) ने किया था। इस विश्वविद्यालय का उद्देश्य तंत्र, विधि, विज्ञान, कला, और बौद्ध धर्म की उच्च शिक्षा प्रदान करना था।
विक्रमशिला विश्वविद्यालय की विशेषता इसके अत्यधिक विद्वान आचार्य और तांत्रिक शिक्षण थे। इसे नालंदा विश्वविद्यालय के समान ही महत्वपूर्ण माना जाता था। इसके पुस्तकालय, अध्ययन कक्ष, और भव्य भवन इसकी प्रतिष्ठा को और भी बढ़ाते थे। यहाँ पर देश-विदेश से छात्र शिक्षा प्राप्त करने आते थे।
विक्रमशिला विश्वविद्यालय का पतन 12वीं शताब्दी में हुआ, जब मुस्लिम आक्रमणकारियों ने इसे नष्ट कर दिया। इसके बावजूद, इसका ऐतिहासिक महत्व और योगदान अमूल्य है।