बांग्लादेश में अशांति के बीच भारत अपने राजनयिको के माध्यम से वहां भारतीय नागरिकों के लगातार संपर्क में है। लगभग 19 हजार भारतीय नागरिक इस समय बांग्लादेश में हैं, जिनमें नौ हजार छात्र शामिल हैं। आज राज्यसभा में बांग्लादेश की स्थिति पर एक बयान में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि ढाका में भारतीय उच्चायोग की सलाह पर पिछले महीने ही बड़ी संख्या में छात्र भारत लौट आए हैं।
डॉ. जयशंकर ने बताया कि केन्द्र सरकार वहां रह रहे अल्पसंख्यकों की स्थिति पर नजर रख रही है। उनकी सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न समूहों और संगठनों द्वारा पहल की खबरें हैं। उन्होंने कहा कि भारत इन पहलों का स्वागत करता है, लेकिन जब तक कानून व्यवस्था बहाल नहीं हो जाती तब तक वह इस विषय पर चिंतित रहेगा। डॉ जयशंकर ने कहा कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए सीमा सुरक्षा बल को भी सतर्क रहने का निर्देश दिया गया है।
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुखों के साथ बैठक के बाद अपने पद से इस्तीफा देने का फैसला किया था। विदेश मंत्री ने यह भी बताया कि श्रीमती हसीना ने भारत आने की मंजूरी मांगी थी और वे कल शाम दिल्ली पहुंचीं हैं।
श्री जयशंकर ने कहा कि पिछले 24 घंटों से हम ढाका में अधिकारियों के साथ भी नियमित संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज़-ज़मान ने कल राष्ट्र को संबोधित किया और जिम्मेदारी संभालने तथा अंतरिम सरकार बनाने की बात कही है।
बांग्लादेश में भारत की राजनयिक उपस्थिति पर उन्होंने बताया कि ढाका में उच्चायोग के अलावा, चटगांव, राजशाही, खुलना और सिलहट में सहायक उच्चायोग हैं। उन्होंने कहा कि भारत बंगलादेश सरकार से अपेक्षा करता है कि वह इन प्रतिष्ठानों के लिए आवश्यक सुरक्षा संरक्षण प्रदान करेगी और हालात स्थिर होने पर सामान्य कामकाज की आशा करता है।