भारत सरकार ने शुक्रवार को बांग्लादेश में जारी छात्रों के विरोध-प्रदर्शन को ढाका का ‘आंतरिक’ मामला करार दिया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि वह वहां रह रहे 15,000 भारतीयों की सुरक्षा को लेकर स्थिति पर बारीकी से नजर रख रही है।ढाका और अन्य शहरों में विश्वविद्यालय के छात्र 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राह के लिए लड़ने वाले युद्ध नायकों के रिश्तेदारों के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों को आरक्षित करने की प्रणाली के खिलाफ कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं।
आरक्षण प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर छात्रों के विरोध प्रदर्शन के दौरान राजधानी ढाका तथा अन्य जगहों पर हिंसा भड़क गई है। इसमें करीब 30 व्यक्तियों की मौत हो चुकी है और कोई अन्य घायल हुए हैं।विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए बताया कि बांग्लादेश में रह रहे 8,500 छात्रों सहित 15,000 भारतीय सुरक्षित हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग वहां रह रहे भारतीय छात्रों की सुरक्षित वापसी के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में है। उन्होंने बताया कि बांग्लादेश से शुक्रवार रात आठ बजे तक 245 भारतीय सुरक्षित भारत लौट आए, जिसमें से 125 छात्र हैं।सूत्रों ने बताया कि भारतीय उच्चायोग ने नेपाल के 13 छात्रों की सुरक्षित वापस के लिए भी मदद की।
जायसवाल ने कहा, ”जैसा कि आप जानते हैं कि बांग्लादेश में छात्रों का प्रदर्शन जारी हैं। हम इसे उनका आंतरिक मामला मानते हैं।”उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर खुद वहां रह रहे भारतीयों की सुरक्षा के संदर्भ में मामले पर बारीकी से नजर रख रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि भारत-बांग्लादेश सीमा -बेनापोल-पेट्रापोले; गेदे-दर्शना और अखौरा-अगरतला सीमा भारतीय नागरिकों के सुरक्षित स्वदेश वापसी के लिए खुली रहेंगी।जायसवाल ने कहा, ”हमने बांग्लादेश में रहने वाले अपने छात्रों सहित भारतीय नागरिकों के लिए उनकी सुरक्षा और आवश्यकता पड़ने पर सहायता के लिए एक परामर्श जारी किया है।”