बिजली एक साल और छुड़ाएगी पसीना, पावर ग्रिड का सपना नहीं हुआ साकार
नए ग्रिड के लिए एक साल पहले हनुमान घाट रोड में हथिया नाला के पास स्वास्थ्य विभाग की खाली पड़ी पांच एकड़ जमीन चिह्नित की गई थी। उस जमीन का ब्योरा बनाकर स्थानीय अधिकारियों द्वारा मुख्यालय भेज दिया गया। जमीन के संबंध में संचरण विभाग और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के बीच कई राउंड बात भी हो चुकी है लेकिन स्वास्थ्य विभाग से अबतक एनओसी नहीं मिल पाया है।
मुख्य तथ्य
- पावर ग्रिड के लिए अब तक नहीं मिली जमीन, दो वर्ष पूर्व जारी हुआ था वर्क ऑर्डर
- एक साल पहले चिह्नित की गई थी हनुमान घाट रोड में स्वास्थ्य विभाग की जमीन
- अबतक स्वास्थ्य विभाग से नहीं मिला एनओसी, अब आचार संहिता खत्म होने के बाद उम्मीद
शहरवासियों को एक साल और बिजली संकट झेलना पड़ेगा। शहरी क्षेत्र में निर्बाध आपूर्ति के लिए पावर ग्रिड के निर्माण की योजना तो बन गई। वर्क ऑर्डर भी जारी कर दिया, लेकिन दो वर्ष बाद भी जमीन उपलब्ध नहीं हो पाई है। ऐसे में इसका निर्माण और एक साल और विलंब से होने की संभावना है।
नए ग्रिड के लिए एक साल पहले हनुमान घाट रोड में हथिया नाला के पास स्वास्थ्य विभाग की खाली पड़ी पांच एकड़ जमीन चिह्नित की गई थी। उस जमीन का ब्योरा बनाकर स्थानीय अधिकारियों द्वारा मुख्यालय भेज दिया गया। जमीन के संबंध में संचरण विभाग और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के बीच कई राउंड बात भी हो चुकी है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग से अबतक अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं मिल पाया है।
संचरण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लोकसभा चुनाव को लेकर आचार संहिता लागू है। ऐसे में आचार संहिता खत्म होने के बाद ही स्वास्थ्य विभाग से एनओसी मिल सकती है।
विलंब के कारण निर्माण की भी बढ़ सकती है राशि
तीन साल पहले 70 करोड़ रुपये से पावर ग्रिड बनाने की योजना बनी थी। ऐसे में विलंब के कारण पावर ग्रिड के निर्माण की राशि भी बढ़ सकती है। टेंडर की निर्धारित राशि से 20 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना है। संभावना है कि 70 करोड़ से राशि बढ़कर 85-90 करोड़ तक पहुंच सकती है।
हालांकि, नए ग्रिड के बन जाने से छह लाख से अधिक उपभोक्ता लाभान्वित होंगे। इस ग्रिड से शहरी क्षेत्र के 15 उपकेंद्रों को निर्बाध बिजली मिल सकेगी। वर्तमान में 12 उपकेंद्र हैं, जबकि तीन और नए उपकेंद्र बनाए जाने हैं।
वर्ष 2021 में ही निर्माण कार्य पूरा होना था
नए पावर ग्रिड का निर्माण पूरा और चालू करने का लक्ष्य वर्ष 2021 रखा गया था, लेकिन जमीन उपलब्ध नहीं होने के कारण योजना तीन साल से अटकी हुई है। ग्रिड के लिए जिला प्रशासन द्वारा बरारी के बियाडा, बायपास व लोदीपुर सहित चार जगहों पर जमीन चिन्हित की गई थी, लेकिन अपरिहार्य कारणों से पावर ग्रिड के बनने के लिए संचरण विभाग को जमीन उपलब्ध नहीं करा पाने से स्वास्थ्य विभाग की जमीन को चिन्हित किया गया। पावर ग्रिड के लिए कम से कम 16 बीघा जमीन की आवश्यकता है। ग्रिड का निर्माण बिहार स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड कराएगी।
100 मेगावाट होगी ग्रिड की क्षमता
बरारी पावर ग्रिड की क्षमता एक सौ मेगावाट की होगी और 80 से 90 मेगावाट तक बिजली पावर सब स्टेशनों को वितरित की जाएगी। 1.32 लाख वोल्ट की बिजली 33 हजार वोल्ट में कनवर्ट कर उपकेंद्रों को आपूर्ति की जाएगी। बरारी ग्रिड की कनेक्टिविटी सबौर एवं गोराडीह ग्रिड से रहेगी। इसमें 50-50 एमवीए के दो पावर ट्रांसफार्मर लगाए जाएंगे।
भुवनेश्वर (ओडिशा) की गुप्ता पावर इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी को ग्रिड बनाने की जिम्मेदारी मिली है। इस ग्रिड से शहरी क्षेत्रों के उपकेंद्रों को बिजली वितरण की जाएगी। वहीं बरारी ग्रिड के बनने के बाद 33 केवी लाइन का वैकल्पिक लाइन भी शुरू होगी।
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