बिहार से दिल्ली समेत अन्य राज्यों के लिए चलने वाली अधिसंख्य बसें अवैध रूप से चल रही हैं। सूबे से यूपी, झारखंड, मध्य प्रदेश के लिए बसें चलती हैं। लगभग डेढ़ दर्जन जिलों से बसों का सीधा परिचालन दिल्ली के लिए हो रहा है। न इनके पास वैध परमिट हैं न ही दस्तावेज। परिवहन विभाग के पास इन बसों की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। ये बसें स्थानीय परिवहन अधिकारी व पुलिस की मदद से सड़कों पर दौड़ रही हैं। इससे आए दिन हो रही दुर्घटना में लोग जान गंवा रहे हैं।
दिल्ली तक जाने वाली परिवहन निगम की छह बसों को भी यूपी सीमा के पास रूक जाना पड़ता है। उन्हें भी दिल्ली सरकार की परमिट नहीं मिली है।
उधर, दिल्ली से बेधड़क बसों का परिचालन बिहार के लिए हो रहा है। हालांकि, ये बसें भी दिल्ली की जगह उसकी सीमाई इलाकों से चलायी जा रही है। हैरत की बात है कि इन बसों की पुख्ता जांच की व्यवस्था नहीं दिख रही है। अलबत्ता इन्हें कई स्तरों पर संरक्षण अवश्य मिल रहा है। बीच-बीच में परिवहन विभाग की जांच भी महज दिखावा सा लगता है। संचालकों की स्थानीय स्तर पर पकड़ इतनी मजबूत है कि वे बगैर वैध पेपर के ही बसों का संचालन करते हैं। गुरुवार को परिवहन मंत्री ने भी माना कि पिछले दिनों जिस बस की दुर्घटना हुई, उसके पास वैध दस्तावेज नहीं थे। नियमानुसार 250 किलोमीटर से अधिक दूरी के वाहनों के लिए दो ड्राइवर रखने का प्रावधान है। लेकिन, इसका भी अनुपालन नहीं हो रहा है। एक ही ड्राइवर बस लाता और ले भी जाता है।