राज्य में बिजली उपभोक्ताओं की संख्या दो करोड़ से अधिक हो गई है। अद्यतन आंकड़ों के अनुसार बिजली कंपनी ने इस संख्या को छू लिया है। घरेलू बिजली उपभोक्ता के मामले में बिहार तीसरे पायदान पर आ गया है। पहले पायदान पर असम और दूसरे पायदान पर झारखंड है।
एक दशक पहले बिहार में मात्र 40 लाख बिजली उपभोक्ता थे। इसके बाद कंपनी ने हर घर बिजली योजना चलाई। इसका असर हुआ और मात्र दो साल में ही राज्य में बिजली उपभोक्ताओं की संख्या बढ़कर डेढ़ करोड़ पार कर गई। पिछले वर्ष उपभोक्ताओं की संख्या बढ़कर एक करोड़ 90 लाख से अधिक हो गई। चूंकि हर साल राज्य में औसतन आठ-दस लाख बिजली उपभोक्ता बढ़ रहे हैं। इस तरह कंपनी ने इस साल मार्च-अप्रैल में ही दो करोड़ का आंकड़ा छू लिया। सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं में घरेलू बिजली उपभोक्ता के मामले में देश में झारखंड में सबसे अधिक 93 फीसदी तो दूसरे पायदान पर असम में 92.6 फीसदी उपभोक्ता हैं। जबकि बिहार में उत्तर बिहार में 92.1 फीसदी तो दक्षिण बिहार में 86.8 फीसदी घरेलू बिजली उपभोक्ता हैं। उत्तर बिहार में शहरी उपभोक्ता मात्र 16 फीसदी तो दक्षिण बिहार में 29 फीसदी हैं।
प्रति व्यक्ति बिजली खपत में वृद्धि
उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ने के साथ ही राज्य में प्रति व्यक्ति बिजली खपत का आंकड़ा भी बढ़ गया है। पहले जहां दो हजार मेगावाट बिजली आपूर्ति होती थी वहीं अब हर रोज औसतन सात हजार मेगावाट बिजली आपूर्ति हो रही है। कंपनी ने रिकॉर्ड 7576 मेगावाट बिजली की आपूर्ति पिछले वर्ष की थी। वर्ष 2012 में बिहार में मात्र 134 यूनिट प्रति व्यक्ति बिजली खपत थी। पिछले वर्ष यह बढ़कर 348 यूनिट प्रति व्यक्ति आ पहुंची है।
आधारभूत संरचना में भी वृद्धि हुई
उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ने के कारण राज्य में बिजली की आधारभूत संरचनाओं में भी वृद्धि हुई है। वर्ष 2012 में मात्र 83 ग्रिड सब-स्टेशन थे जो आज 164 हो गए हैं। उस समय राज्य की संचरण निकासी क्षमता मात्र दो हजार मेगावाट थी जो अब 14 हजार मेगावाट से अधिक हो गई है। उस समय मात्र 68 सौ सर्किट किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइन बिछे थे जो आज बढ़कर 20 हजार सर्किट किलोमीटर हो गये हैं। वर्ष 2012 में राज्य में मात्र 545 पावर सब-स्टेशन थे जो आज 12 सौ से अधिक हो गए हैं।