बिहार में एक अप्रैल से लागू नई बिजली दर पर कंपनी ने आपत्ति जताई है। उसने बिहार विद्युत विनियामक आयोग के समक्ष पुनर्विचार याचिका दायर की है। याचिका में कंपनी ने कहा है कि आयोग ने नुकसान का अधिक आकलन किया है। इस कारण कंपनी की आय में वृद्धि हो गई है।
अब आयोग कंपनी की इस दलील को आधार पर याचिका पर विचार कर रहा है। अप्रैल में बिजली दर में 3.03 फीसदी वृद्धि के कंपनी के प्रस्ताव को बिहार विद्युत विनियामक आयोग ने खारिज कर दिया था। आयोग ने बिजली लगभग दो फीसदी सस्ती भी कर दी थी। सस्ती बिजली होने से सभी श्रेणियों की बिजली दर में 15 पैसे प्रति यूनिट की कमी हो गई। दरअसल एक मार्च को विनियामक आयोग ने नई बिजली दर तय की घोषणा की। लेकिन कंपनी आयोग के फैसले से सहमत नहीं है। कंपनी का कहना है कि आयोग की ओर से कंपनी के नुकसान आकलन में गड़बड़ी हुई है। इससे कंपनी के वास्तविक खर्च का सही तरीके से आकलन नहीं हुआ है। इस आकलन में कंपनी को जितना पैसा खर्च के लिए मिलना चाहिए वह नहीं मिल सका है। कंपनी ने इस तर्क के आधार पर आयोग से फिर से टैरिफ पिटिशन पर विचार करने का आग्रह किया है। कंपनी की दलील पर आयोग ने कहा है कि वह पुनर्विचार याचिका को सार्वजनिक करे। समाचार पत्रों के माध्यम से लोगों को बताए कि कहां गड़बड़ी हुई है। इसके बाद इस पुनर्विचार याचिका पर आम लोगों से राय भी ली जाएगी। इसके बाद ही आयोग कंपनी की पुनर्विचार याचिका पर कोई निर्णय लेगा।
अगर कंपनी के पक्ष में फैसला आया तो बढ़ सकती है बिजली दर
अगर आयोग कंपनी की पुनर्विचार याचिका को मानकर फैसला सुनाता है तो बिहार में बिजली दर में वृद्धि हो सकती है। इसका सीधा असर राज्य के दो करोड़ बिजली उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। यही नहीं, उपभोक्ताओं को अप्रैल से ही नई दर के अनुसार बिजली बिल का भुगतान करना होगा। हालांकि इसकी संभावना कम है। आयोग सूत्रों के अनुसार अगर दुबारा आकलन में कंपनी के नुकसान में कुछ बदलाव भी आएगा तो उसे अगले साल की याचिका में स्वीकार किया जाएगा। चूंकि नई दर के प्रभावी हुए तीन महीने हो चुके हैं। ऐसे में उपभोक्ताओं से नए सिरे से बिजली बिल वसूलने में भी परेशानी होगी।
नॉर्थ एवं साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 35 हजार 303 करोड़ 67 लाख रुपए मांगे थे। लेकिन आयोग ने 32 हजार 741 लाख की ही मंजूरी दी और 1614.12 करोड़ सरप्लस आमदनी बताई। वित्तीय वर्ष 2024-25 में आयोग ने एनबीपीडीसीएल के लिए वितरण हानि 14.55 फीसदी और एसबीपीडीसीएल के लिए 17.49 फीसदी तय किया है।
बिजली दर
यूनिट अभी है
ग्रामीण घरेलू
0-50 2.45
50 से अधिक 2.85
शहरी घरेलू
0-100 4.12
100 से अधिक 5.52
वर्षवार दर में वृद्धि
2020-21 वृद्धि नहीं
2021-22 10 पैसे की कमी
2022-23 वृद्धि नहीं
2023-24 24.10 वृद्धि (अनुदान के बाद कोई वृद्धि नहीं)
2024-25 02 कमी