गुजरात के महिसागर जिले में एक दिलचस्प नजारा देखने को मिला। यहां 75 साल के साइबा भाई डामोर ने 60 साल की कंकुबेन परमार के साथ विवाह रचाया है। खेती काम करके अपना गुजर करने वाले साइबा भाई डामोर की शादी उनकी बेटी ने समाज के साथ मिलकर सामाजिक रस्मों रिवाज से करवाई है। साइबा भाई अपनी दूसरी शादी में इतने खुश दिखे कि वो डीजे की धुन पर खूब नाचे। दो बुजुर्गों की शादी में पूरा गांव शामिल हुआ। बता दें कि साइबा भाई एक विधुर थे, जबकि कंकुबेन भी एक विधवा थीं। दोनों ने लंबे समय तक एकाकी जीवन व्यतीत किया और अब एक-दूसरे का हाथ थाम लिया है।
समाज के रीति-रिवाजों के अनुसार मंदिर में हुई शादी
महिसागर जिले के खानपुर तालुका के अमेठी गांव के 75 वर्षीय साइबा भाई डामोर अकेले रहते थे क्योंकि बुढ़ापे का कोई सहारा नहीं है। ग्रामीणों की मदद से एकाकी जीवन जी रहे इस वृद्ध की शादी धूमधाम से कराई गई है। फिर पूरा गांव इस अनोखी शादी में शामिल हुआ। पूरे गांव की सहमति से साइबा भाई और कंकुबेन ने समाज के रीति-रिवाज के अनुसार गांव के एक मंदिर में शादी की है।
साइबा भाई जहां खाना बनाने से लेकर घर के सारे काम खुद ही करते थे। उउनकी बेटी और समाज के कुछ लोगों ने उनके अकेलेपन को दूर करने की ठानी। आखिरकार, ढलती उम्र में उनकी शादी करा दी गई जिसके बाद वे बेहद खुश हैं। दूल्हे साइबा भाई ने कहा, मेरी शादी 75 साल की उम्र में हुई। मुझे लाठी पकड़कर सारा काम करना पड़ता है। मेरा कोई सहारा नहीं, कोई लड़का नहीं, कुंवारा मर जाए तो लोग कहते हैं, कुंवारा मर गया। अब मैं यथासंभव धीरे-धीरे खेती कर रहा हूं। मैंने आज शादी कर ली और बहुत खुश हूं।
कुछ साल पहले हुई थी पत्नी की मृत्यु
साइबा भाई डामोर और कंकुबेन दोनों पहले से ही एक दूसरे को जानते थे और ये उनकी दूसरी शादी है। साइबा भाई डामोर की पहली पत्नी की कुछ साल पहले बीमारी के कारण मौत हो गई थी। उनकी एक लड़की है जिसकी शादी हो चुकी है। ऐसे में बुढ़ापे में पिता की सेवा करने के लिए परिवार में कोई नहीं था। बेटी की शादी के बाद वह अकेले ही जैसे-तैसे जीवन यापन कर रहे थे। कंकुबेन के बारे में जानकारी यह है कि वह मेघराज तालुक के मूडसिवाडा के मूल निवासी हैं। कंकुबेन की भी शादी हो चुकी थी लेकिन उनके पति की बीमारी से मौत हो गई थी जिसके बाद वह अपने मामा की लड़की के घर रहती थी।