भागलपुर:जोगसर थानाध्यक्ष निलंबित, नहीं किया था दहेज हत्या का केस दर्ज

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पीड़ित न्याय के लिए सबसे पहले थाना पर जाते हैं। थाने पर उनके साथ क्या होता है और किस तरह अभियुक्तों के साथ मेल में आकर पीड़ितों को प्रताड़ित किया जाता है। इसका एक उदाहरण जोगसर थाना में घटित एक घटना है। जोगसर थाना क्षेत्र में नवविवाहित की संदिग्ध परिस्थिति में मौत और उसके बाद परिजनों द्वारा दहेज हत्या का आरोप लगाने के बाद भी केस दर्ज नहीं करना। मृतका के परिजनों को थाना से भगा देने और टालमटोल करने वाले जोगसर थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर रंजीत कुमार को डीआईजी विवेकानंद ने सस्पेंड कर दिया। एसपी सिटी की अनुशंसा पर डीआईजी ने कार्रवाई की है। डीआईजी का कहना है कि घटना में परिजनों का बयान लेकर केस दर्ज करने की जगह टालमटोल करने और नालसीवाद दायर होने के बाद केस दर्ज करना थानेदार की लापरवाही और पक्षतापूर्ण रवैया को परिलक्षित करता है। दहेज हत्या जैसे गंभीर मामले में समय पर केस दर्ज नहीं करना थानेदार की स्वेच्छाचारिता, कर्तव्यहीनता को दर्शाता है। इंस्पेक्टर को सस्पेंड करते हुए उनके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही शुरू करने और मुख्यालय पुलिसलाइन करने का आदेश दिया गया है।

इसी साल हुई थी शादी

मृतका के पिता ने बताया कि इस साल 31 मई को नितिन कुमार साह के साथ उन्होंने अपनी बेटी की शादी की थी। शादी के बाद से ही बेटी पर तीन लाख रुपये दहेज लाने का दबाव ससुराल वाले बनाने लगे। बेटी के साथ अभद्र व्यवहार भी करने लगे।

 

मृतका के पिता कोर्ट पहुंचे, तब दर्ज हुआ केस

 

मुंगेर जिले के हवेली खड़गपुर पूरब अजीमगंज के रहने वाले संजीव साहा की बेटी सोनाली कुमारी की 15 जून को संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई थी। इसको लेकर जब वे आवेदन लेकर जोगसर थाना पहुंचे तो थानेदार रंजीत कुमार ने उन्हें यह कहते हुए लौटा दिया कि उनके कहने से केस दर्ज नहीं होगा। इसके बाद कई बार संजीव अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने की आस लेकर थाना जाते रहे पर थानेदार ने उनकी नहीं सुनी, कई बार तो भगा दिया। उसके बाद संजीव कोर्ट पहुंचे। वहां सीजेएम की अदालत में आठ अगस्त को नालसीवाद किया। कोर्ट के आदेश पर 22 अगस्त को जोगसर थाने में केस दर्ज किया गया।

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