इस माह के अंत तक भागलपुर को दो बड़ी सौगात संभव है। भागलपुर में कैंसर अस्पताल और राष्ट्रीय स्तर के खेल स्टेडियम के निर्माण की मंजूरी मिलने की संभावना है। आगामी मंत्रिमंडल की बैठक में दोनों परियोजनाओं को कैबिनेट की मंजूरी के लिए लाया जा सकता है। दोनों लंबित परियोजनाओं को लेकर जिला प्रशासन काफी दिनों से प्रयासरत था।
बताया जाता है कि परियोजनाओं को लेकर संबंधित विभाग के सचिव के स्तर पर सहमति बन गई है। बस आधिकारिक घोषणा होना शेष है। कैंसर अस्पताल निर्माण की मंजूरी के बाद शहर से सटे इलाकों में इसके लिए जमीन ढूंढ़ी जाएगी। प्रशासन ने पूर्व तैयारी के मद्देनजर सबौर, जगदीशपुर, गोराडीह व नाथनगर के समीप बड़े भूखंड की जानकारी हासिल की है। खेल स्टेडियम के लिए विश्वविद्यालय के समीप भूखंड को देखा गया है।
10 बेड का टर्शियरी कैंसर केयर सेंटर भी नहीं बन सका भागलपुर में टर्शियरी कैंसर केयर सेंटर के निर्माण की प्रक्रिया गत पांच वर्षों से हो रही है। जेएलएनएमसीएच परिसर में 10 बेड के टर्शियरी कैंसर केयर सेंटर के निर्माण पर सहमति बनी थी। तय हुआ था कि गंभीर मरीजों को इलाज के लिए मुजफ्फरपुर होमी भाभा कैंसर अस्पताल भेजा जाएगा।
20-25 हजार की क्षमता का बनेगा दर्शक दीर्घा
स्टेडियम बनने के बाद गांव के युवाओं को क्रिकेट, फुटबॉल, वॉलीबॉल सहित अन्य खेल में प्रतिभा दिखाने का मौका मिलेगा। यहां दिग्गज कोच प्रशिक्षित करेंगे। स्टेडियम में खिलाड़ियों खासकर महिला-पुरुष खिलाड़ियों के लिए अलग-अलग चेंजिंग रूम होगा। साथ ही आधुनिक शौचालय, वेटिंग हॉल आदि भी बनेंगे। करीब 20-25 हजार दर्शक दीर्घा होने से राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का आयोजन हो सकेगा।
60 बेड का होगा अस्पताल
केंद्र सरकार के इनकार के बाद राज्य सरकार ने दो साल पहले विकास निधि से भागलपुर में 60 बेड के अस्पताल का निर्णय लिया था। यहां कैंसर मरीजों की कीमोथेरेपी व रेडियोलॉजी समेत अन्य जांच होगी।
गोराडीह के बड़ी दोस्तैनी गांव में देखी गई थी जमीन
भागलपुर में खिलाड़ियों की कमी नहीं है। यहां के बच्चे-बच्चियां राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में बेहतर करते रहे हैं। बिहार सरकार ने भागलपुर में विशाल खेल स्टेडियम बनाने का निर्णय बीते वर्ष ही लिया था। लेकिन जमीन का चयन नहीं हो पाने से फाइलों में प्रस्ताव बंद है। कुछ माह पहले गोराडीह के सारथ डहरपुर पंचायत अंतर्गत बड़ी दोस्तैनी गांव में मुख्यमंत्री खेल विकास योजना से करीब दो करोड़ की लागत से स्टेडियम बनाने की कवायद शुरू हुई थी। प्रस्ताव अब तक मुख्यालय नहीं पहुंचा है।