भागलपुर : दस साल के चचेरे भतीजे की बलि देने वाले चाचा और तांत्रिक को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सोमवार को एससी-एसटी के विशेष अदालत ने कन्हैया हत्याकांड में दोषी पाए गए उसके चाचा शिवनंदन रविदास और तांत्रिक विलाश मंडल को सजा सुनाई। कोर्ट ने अभियुक्तों पर 50-50 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है।
अर्थदंड की राशि जमा नहीं करने पर उन्हें छह महीने की अतिरिक्त सजा काटनी होगी। उक्त कांड में सरकार की तरफ से एससी-एसटी के एपीपी रमेश चौधरी ने बहस में भाग लिया। दिवाली वाली रात धारदार हथियार से हत्या कर दी थी। घटना को लेकर केस दर्ज कराने वाली मृतक बच्चे की मां पीरपैंती के बिनोबा टोला की रहने वाली मीना देवी ने पुलिस को बताया था कि 27 अक्टूबर 2019 को दिवाली की रात चचेरे देवर शिवनंदन रविदास और उसी टोला के रहने वाले तांत्रिक विलाश मंडल उनके घर पर आए और पटाखा दिलाने की बात कह उनके बेटे को साथ ले गये। अगली सुबह बेटे का शव बरामद किया गया।
मृतक बच्चे की मां ने पुलिस को बताया था कि दिवाली की पूरी रात बेटे का पता नहीं चलने पर 28 अक्टूबर की सुबह जब वह बसबिट्टी गई तो वहां बेटे का शव खून से लथपथ पड़ा था। उन्होंने पुलिस को बताया था कि शिवनंदन की संतान नहीं थी। वह इसके लिए परेशान था। आरोपी तांत्रिक ने ही ने कहा था कि संतान के लिए उसे बलि देनी होगी। उसकी बातों आकर ही उसने 10 साल के बच्चे की धारदार हथियार से हत्या कर दी थी।
तांत्रिक की पत्नी ने कहा, एपीपी ने सजा नहीं कराने को लिए 50 हजार
सोमवार को कोर्ट में नाबालिग बच्चे की बलि मामले के दोषियों को सजा सुनाई गई वहीं दूसरी अभियुक्त तांत्रिक विलाश मंडल की पत्नी ने कोर्ट परिसर में हंगामा कर दिया। महिला ने आरोप लगाया कि उक्त कांड में सरकार की तरफ से बहस करने वाले एपीपी रमेश चौधरी ने उसके पति को सजा नहीं होने देने की बात कह उससे 50 हजार रुपये ले लिए और सजा भी हो गई। महिला के साथ उसकी बहन भी हंगामा करने लगी। बाद में उसे समझाकर वहां से बाहर निकाला गया। एपीपी रमेश चौधरी ने कहा कि आरोप लगाकर बदनाम किया जा रहा है।