भागलपुर पुलिस लाइन में घटनास्थल पर पूरी तरह पसरा सन्नाटा
भागलपुर : मंगलवार की सुबह जिस सीबी 38 नंबर क्वार्टर से नीतू के पूरी परिवार का शव बरामद किया गया वहां बुधवार को आसपास पूरी तरह से सन्नाटा पसरा हुआ था। जहां रोजाना सभी के बच्चे सड़क पर खेलते कूदते नजर आते थे वहां कोई भी मां अपने बच्चे को सड़क पर निकलने से मना करती दिखी। आसपास रहने वाले पुरुष और महिला सिपाहियों ने कहा कि मंगलवार को उस सीन को देखने के बाद उन सभी के आंखों से नींद ही चली गई। नीतू के क्वार्टर के ठीक सामने रहने वाली गुड़िया ने बताया कि सोमवार की रात लगभग 11 बजे तक नीतू के दोनों बच्चे उनके घर पर उनके बच्चों के साथ खेल रहे थे। नीतू और पंकज के बच्चों को याद कर वहां मौजूद महिलाएं रोने लगीं।
पोस्टमार्टम में सुबह तीन से छह बजे के बीच घटना
पुलिसलाइन में हत्याकांड और आत्महत्या के बाद सभी पांच शव का पोस्टमार्टम तीन डॉक्टर की टीम ने किया। उस टीम में डॉ. जयनेंद्र कुमार, डॉ. विभूति कुमार और डॉ. धीरज कुमार शामिल थे। घटना मंगलवार की अल सुबह तीन से छह बजे के बीच की बताई जा रही है। पोस्टमार्टम में शुरुआती जांच में इसका पता चला है। घटना की जानकारी मिलने पर एफएसएल की टीम भी मौके पर पहुंची थी और खून का नमूना लिया गया था। उससे भी यही जानकारी मिल रही है कि घटना का समय लगभग वही है। सुबह 5.47 बजे तक नीतू का व्हाट्सएप पर लास्ट सीन दिख रहा है, इससे साफ है कि पंकज ने उस समय के बाद ही आत्महत्या की। जिस कमरे में नीतू और उसके दोनों बच्चों का शव बरामद किया गया है वहां से एक गमछा बरामद किया गया है जिसमें खून लगे हैं। ऐसी आशंका है कि गमछा वहीं पड़ा होगा जिस वजह से उसमें खून लगा।
मृतका सिपाही नीतू के क्वार्टर के आसपास रहने वाली महिलाओं ने बताया कि नीतू और पंकज के बीच पिछले कुछ महीने से रिश्ता खराब हो गया था। नीतू अपने पति, दोनों बच्चों और पैरालाइसिस की शिकार सास को छोड़कर किसी और के साथ कभी 10 तो कभी 15 दिन तक बाहर रहती थी। वह तीर्थ स्थान भी पति और बच्चों को छोड़कर जाती थी। उस वजह से पंकज से उसका संबंध खराब होता जा रहा था। पहले तो नीतू का सास के साथ भी अच्छा संबंध था पर बाद में वह सास से भी लड़ने लगी थी।
पुलिसलाइन में हुई घटना के बाद बुधवार को एसएसपी कार्यालय में दिनभर सन्नाटा पसरा रहा। जहां पुलिसकर्मियों और फरियादियों की भीड़ लगी रहती थी वहां कोई नजर नहीं आ रहा था। सुरक्षा कर्मी के अलावा कोई नहीं दिखा। वरीय अधिकारी भी कार्यालय नहीं पहुंचे। जिस शाखा के कमरे में नीतू और सूरज काम करते थे वहां भी कोई किसी से बात नहीं कर रहे थे।
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