भागलपुर में उफान पर गंगा

Budhanath Mandir

पिछले तीन-चार दिनों से उत्तर-पश्चिम राज्यों में हो रही भारी बारिश का असर बिहार में बह रही नदियों के जलस्तर पर दिख रहा है। तमाम नदियों का जलस्तर अभी उफान पर है। शुक्रवार को भागलपुर में बहने वाली दो प्रमुख बड़ी नदी गंगा और कोसी में भारी वृद्धि हुई है।

सुल्तानगंज में कांवरियों को किया गया सचेत 

भागलपुर होकर बहने वाली गंगा शुक्रवार को सुल्तानगंज और कहलगांव में खतरे के निशान को पार कर गई है। सुल्तानगंज में 24 घंटे के अंदर 30 सेमी की वृद्धि हुई तो लाल निशान 32.50 मीटर से 16 सेमी ऊपर यानी 32.66 मीटर पर गंगा बह रही है। यहां श्रावणी मेला के लिए आए कांवरियों को सचेत किया गया है कि बैरिकेडिंग के पार कदापि न जाएं। साथ ही यहां एसडीआरएफ व गोताखोरों को नाव पर 24 घंटे सतर्क रहने को कहा गया है। कहलगांव में लाल निशान 31.09 मीटर से 7 सेमी ऊपर यानी 31.16 मीटर पर जलस्तर दर्ज किया गया है।

राघोपुर में लाल निशान से मात्र 10 सेमी नीचे 

केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक गंगा राघोपुर में लाल निशान 32.80 मीटर से मात्र 10 सेमी नीचे है। इस्माईलपुर बिंदटोली में लाल निशान 31.60 मीटर से 8 सेमी ऊपर यानी 31.68 मीटर पर बह रही है। कोसी भी 24 घंटे के अंदर बढ़ी है। कोसी विजय घाट पुल पर लाल निशान 31.00 मीटर से 17 मीटर ऊपर बह रही है। शुक्रवार को यहां का जलस्तर 31.17 मीटर आंका गया गया। सहोरा में लाल निशान 31.48 मीटर से 20 सेमी नीचे यानी 30.28 मीटर पर कोसी का जलस्तर आंका गया है।

अभी गंगा का जलस्तर और बढ़ेगा

जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता आदित्य प्रकाश ने बताया कि गंगा नदी सुल्तानगंज में अजगैवीनाथ घाट, भागलपुर पुल घाट, जाह्नवी घाट, कहलगांव में बटेश्वर स्थान घाट आदि के पास उफान पर है। यहां राइजिंग ट्रेंड है। यानी जलस्तर में अभी और बढ़ोतरी होगी। यहां स्नान करने वालों को हिदायत दी गई है कि गहरे पानी में न जाएं। सभी जगहों पर गोताखोरों को तैनात किया गया है। वहीं कहलगांव के बीरबन्ना पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि संजय मंडल और पंचायत समिति सदस्य गंगाधर राज ने बताया कि गंगा के वृद्धि का दौर जारी रहता है तो मक्का के साथ-साथ सैकड़ों एकड़ में लगी मिर्च की फसल में दो-चार दिन में पानी घुस जाएगी। उधर, प्रखंड क्षेत्र के बाबूपुर से लेकर ममलखा मसाढु तक रुक-रुक कर गंगा का कटाव जारी है। घोघा में भी बाढ़ का पानी फैल गया है। किसानों और मवेशी पालकों को काफी चिंता सता रही है।

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