भागलपुर में सुंदरवन के पास खगोल विज्ञान की दुनिया देखी जा सकेगी। बरारी मार्ग स्थित सुंदरवन के पास नगर निगम की जमीन पर जोनल कार्यालय के साथ खगोल विज्ञान लैब सह लाइब्रेरी का निर्माण होगा। नगर निगम ने इसके लिए पूरी तैयारी कर ली है। नगर निगम की टीम ने प्रस्तावित जगह का निरीक्षण किया। इसके लिए नगर निगम करीब 1.10 करोड़ रुपये खर्च करने जा रहा है।
आने वाले समय में शहर में एक और खगोल विज्ञान लैब होगा। पहले से बने लैब को राजकीय बालिका इंटर स्कूल में स्मार्ट सिटी कंपनी लिमिटेड ने मॉडर्नाइजेशन ऑफ स्कूल प्रोजेक्ट के अंतर्गत तैयार किया है। अब इसी तरह का लैब नगर निगम की ओर से सुंदरवन के पास बनाया जाएगा। निगम ने इसके लिए एक वर्ष से कार्ययोजना तैयार की थी।
सोमवार को निगम के योजना शाखा की टीम तकनीकी विशेषज्ञ के साथ स्थल निरीक्षण को पहुंची। जमीन की मापी कर लेआउट किया गया। नगर निगम के अकाउंट पंकज कुमार ने बताया कि इसके लिए टेंडर जारी कर दिया गया है।
खगोल विज्ञान की लैब एक ऐसी प्रयोगशाला होती है जहाँ खगोलविद (astronomers) ब्रह्माण्ड के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन और अनुसंधान करते हैं। यहाँ पर विभिन्न प्रकार के उपकरणों और तकनीकों का उपयोग किया जाता है ताकि ब्रह्माण्ड के रहस्यों को समझा जा सके। निम्नलिखित प्रमुख घटक और उपकरण एक खगोल विज्ञान की लैब में पाए जा सकते हैं:
- दूरबीन (Telescope): दूरबीनें सबसे महत्वपूर्ण उपकरण हैं, जिनका उपयोग तारों, ग्रहों, निहारिकाओं, और अन्य खगोलीय पिंडों का अवलोकन करने के लिए किया जाता है। ये ऑप्टिकल, रेडियो, इन्फ्रारेड आदि विभिन्न प्रकार की हो सकती हैं।
- स्पेक्ट्रोमीटर (Spectrometer): स्पेक्ट्रोमीटर का उपयोग प्रकाश का विश्लेषण करने के लिए किया जाता है। इससे खगोलीय पिंडों की रासायनिक संरचना, तापमान, घनत्व आदि का पता लगाया जाता है।
- डिटेक्टर (Detector): ये उपकरण प्रकाश, रेडियो तरंगें, एक्स-रे, गामा-रे आदि का पता लगाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। इनसे खगोलीय घटनाओं की जानकारी मिलती है।
- सॉफ्टवेयर और कंप्यूटर: खगोलीय आंकड़ों का विश्लेषण करने और सिमुलेशन बनाने के लिए शक्तिशाली कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है।
- डेटा प्रोसेसिंग इक्विपमेंट: खगोलविद बड़ी मात्रा में डेटा को प्रोसेस करने के लिए उन्नत डेटा प्रोसेसिंग तकनीकों का उपयोग करते हैं।
- लैबोरेटरी सेटअप: कुछ खगोल विज्ञान की लैब में छोटे पैमाने पर प्रयोग किए जाते हैं, जैसे कि प्लाज्मा फिजिक्स, स्पेक्ट्रोस्कोपी, और एक्सोप्लैनेट एटमॉस्फियर के सिमुलेशन।
- विजुअलाइजेशन टूल्स: ब्रह्माण्ड के डेटा को चित्रित और समझने के लिए 3D मॉडलिंग और विजुअलाइजेशन टूल्स का उपयोग किया जाता है।
इन उपकरणों और तकनीकों की मदद से खगोलविद ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति, संरचना, और विकास के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त करते हैं।