भारतीय संस्कृति के प्रतीक हथकरघा को फैशन डिजाइनिंग से जोड़ने की जरूरत : उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को कहा कि हथकरघा भारतीय संस्कृति का प्रतीक है और इसे फैशन डिजाइनिंग से जोड़ने की जरूरत है। स्वदेशी आंदोलन की सच्ची भावना में हथकरघा को बढ़ावा देने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि हथकरघा उत्पाद प्रधानमंत्री की वोकल फॉर लोकल पहल का एक प्रमुख घटक है।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 10वें राष्ट्रीय हथकरघा दिवस को संबोधित करते हुए आर्थिक राष्ट्रवाद को आर्थिक विकास और आर्थिक स्वतंत्रता का मूल आधार बताया। हथकरघा के पर्यावरणीय और सांस्कृतिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “हथकरघा को बढ़ावा देना समय की जरूरत है, देश की जरूरत है और जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में ग्रह की जरूरत है।”
रोजगार सृजन में हथकरघा के महत्व पर जोर देते हुए खासकर ग्रामीण महिलाओं के लिए, उपराष्ट्रपति ने ऐसे उत्पादों के लिए पर्याप्त विपणन अवसर सुनिश्चित करने का आह्वान किया। उन्होंने भारत के कॉरपोरेट्स से खासकर होटल उद्योग में हथकरघा उत्पादों का व्यापक रूप से उपयोग करने की अपील की। उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रतिबद्धता न केवल भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देगी बल्कि देश की अर्थव्यवस्था और रोजगार के अवसरों को भी महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा देगी।
आर्थिक राष्ट्रवाद को हमारी आर्थिक वृद्धि का मूल आधार बताते हुए धनखड़ ने आर्थिक राष्ट्रवाद के तीन प्रमुख लाभों को रेखांकित किया। पहला, यह बहुमूल्य विदेशी मुद्रा बचाने में मदद करता है। दूसरा, आयात को कम करके हम रोजगार के अवसर पैदा करते हैं और स्थानीय आजीविका की रक्षा करते हैं। तीसरा, यह घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करके उद्यमशीलता को बढ़ावा देता है।
उन्होंने चिंता व्यक्त की कि कुछ लोग राष्ट्रीय हितों पर सीमित आर्थिक लाभ को प्राथमिकता देते हैं और सवाल उठाते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि कोई भी राजकोषीय लाभ, चाहे वह कितना भी बड़ा क्यों न हो, घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने और स्थानीय रोजगार की रक्षा करने के मूल्य से अधिक नहीं हो सकता।
इस अवसर पर केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह, कपड़ा राज्य मंत्री पबित्रा मार्गेरिटा, कपड़ा मंत्रालय की सचिव रचना शाह और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। इस मौके, पर अन्य गणमान्य व्यक्ति, सांसदों, प्रतिष्ठित हस्तियां, निर्यातक और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी भी शामिल हुए। देश भर से लगभग 1000 बुनकरों ने भी समारोह में हिस्सा लिया।
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