हिंद महासागर क्षेत्र में भारत सुरक्षा को लेकर गंभीर है। इसलिए जल्द ही आईएनएस अरिघाट भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होने वाला है। परमाणु मिसाइलों से लैस पनडुब्बी आईएनएस अरिघाट को विशाखापट्टनम के जहाज निर्माण केंद्र पर एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वेसल (एटीवी) प्रोजेक्ट के तहत बनाया गया है। भारत की पहली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत की लांचिंग 2009 में हुई थी। इसके अलावा पारंपरिक हथियारों के साथ दो परमाणु ऊर्जा चालित हमलावर पनडुब्बियों के निर्माण की परियोजना भी अंतिम मंजूरी के करीब है।
आईएनएस अरिघाट दूसरी बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी
नौसेना को दूसरी 6,000 टन की परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बी आईएनएस अरिघाट मिलने के बाद भारत अब रणनीतिक प्रतिरोध के लिए हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की ओर से बढ़ रही चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होगा। भारतीय नौसेना की दूसरी परमाणु ऊर्जा वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी आईएनएस अरिघाट तीन साल के समुद्री परीक्षणों के बाद अब इस वर्ष के अंत तक समंदर में गोते लगाने के लिए तैयार है। यह अरिहंत श्रेणी की भारत में निर्मित की गई दूसरी पनडुब्बी है। व्यापक परीक्षणों के बाद औपचारिक कमीशनिंग के लिए पूरी तरह से तैयार पनडुब्बी में विस्तारित अवधि में उन्नयन के साथ कुछ तकनीकी मुद्दों को सुलझाया गया था।
पहली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत
भारत की पहली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत को 9 साल के व्यापक परीक्षण के बाद अगस्त, 2016 में समुद्र में उतारा गया था। दो साल के परीक्षण के बाद 2018 में यह पूरी तरह से चालू हो गई थी। आईएनएस अरिघाट की लांचिंग लगभग पांच साल के लम्बे इन्तजार के बाद 2017 में हो पाई। इस पनडुब्बी को मूल रूप से आईएनएस अरिदमन के नाम से जाना जाता था लेकिन इसके लॉन्च होने पर इसे आईएनएस अरिघाट नाम दिया गया था। यह पनडुब्बी सात साल तक व्यापक परीक्षण से गुजरी है और अब समुद्र की गहराइयों में उतरने के लिए तैयार है। इसके बाद अरिघाट अपनी बहन आईएनएस अरिहंत से जुड़ जाएगी। आईएनएस अरिहंत के मुकाबले आईएनएस अरिघाट में मिसाइलों की संख्या दोगुनी होगी, जिससे भारत को ‘पानी के युद्ध’ में और अधिक मिसाइलें ले जाने की क्षमता मिल जाएगी।
आईएनएस अरिघाट की खासियत
अरिहंत श्रेणी की दूसरी मिसाइल पनडुब्बी आईएनएस अरिघाट के ब्लेड प्रोपेलर जल रिएक्टर से संचालित होंगे। यह पनडुब्बी पानी की सतह पर 12-15 समुद्री मील (22-28 किमी/घंटा) की अधिकतम गति से चल सकती है और समुद्र की गहराई में 24 समुद्री मील (44 किमी/घंटा) की गति प्राप्त कर सकती है। इस पनडुब्बी के कूबड़ पर आठ लांच ट्यूब होंगे। यह 750 किमी. रेंज वाली 24के-15 सागरिका मिसाइलों या 3,500 किमी. की रेंज वाली 8के-4 मिसाइल तक ले जा सकती है। अरिहंत श्रेणी की परमाणु-शक्ति वाली इन पनडुब्बियों को 2.9 बिलियन डॉलर के उन्नत टेक्नोलॉजी वेसल (एटीवी) प्रोजेक्ट के तहत डिजाइन और निर्मित किया गया है।