भारत में ग्रीन ऑफिस का बढ़ रहा है चलन, कार्बन उत्सर्जन कम करने में मिलेगी मदद

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देश में ग्रीन ऑफिस की मांग तेजी से बढ़ रही है। कंपनियों ने अप्रैल-जून की अवधि के बीच देश के शीर्ष छह शहरों में 13 मिलियन स्क्वायर फीट ऑफिस स्पेस ग्रीन सर्टिफिकेट प्राप्त कर चुकी बिल्डिंग में लिया है। मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

कोलियर्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्रीन ऑफिस स्पेस लीज में सालाना आधार पर 24 प्रतिशत की बढ़त देखी गई है और यह बीती तिमाही में लीज पर लिए गए कुल ऑफिस स्पेस में से 82 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करता है।

रिपोर्ट में आगे कहा गया कि आने वाली ऑफिस स्पेस की आपूर्ति भी ग्रीन सर्टिफाइड होने की उम्मीद है। अगले दो से तीन वर्षों में ग्रीन ऑफिस स्पेस स्टॉक बढ़कर 600 मिलियन स्क्वायर फीट हो सकता है।

कोलियर्स इंडिया के ऑफिस स्पेस के मैनेजिंग डायरेक्टर अर्पित मेहरोत्रा ने कहा कि यह दिखाता है कि ऑफिस स्पेस लेने वाली कंपनियां स्थिरता के लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध हैं और इससे देश को भी टिकाऊपन का लक्ष्य पाने में मदद मिलेगी।

2023 से इंजीनियरिंग, मैन्युफैक्चरिंग, टेक्नोलॉजी और बीएफएसआई कंपनियों की ओर से लिया जाने वाला 70 से 80 प्रतिशत ऑफिस स्पेस ग्रीन सर्टिफाइड बिल्डिंग में है।

ग्रीन ऑफिस स्पेस में बेंगलुरु और मुंबई सबसे आगे है। 2024 की दूसरी तिमाही में लीज पर लिए गए कुल ऑफिस स्पेस में इन दोनों शहरों की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत थी।

रिपोर्ट में बताया गया कि 13 मिलियन स्क्वायर फीट ग्रीन ऑफिस स्पेस में से 60 प्रतिशत नई ऑफिस स्पेस नई बिल्डिंगों में है, जो कि बीते 5 वर्षों में तैयार हुई है।

भारतीय बाजार में लीड, गृह और वेल तीन बिल्डिंग सर्टिफिकेट हैं। ये सर्टिफिकेट किसी बिल्डिंग की ऊर्जा खपत, डिजाइन और कचरा पैदा करने के तरीके आदि को देखकर दिए जाते हैं। पिछले कई तिमाही से डेवलपर, इन्वेस्टर और ग्राहकों का सारा ध्यान ग्रीन ऑफिस स्पेस बढ़ाने पर है।

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