मंगल ग्रह में तीन किलोमीटर की गहराई पर पानी का भंडार होने का पता चला है। यह भंडार इतना विशाल है कि इसकी तुलना पृथ्वी पर स्थित लाल सागर में मौजूद पानी से की जा सकती है। अमेरिका में स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूशन के शोध में यह दावा किया गया है।
करीब डेढ़ दशक पहले यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के मार्स एक्सप्रेस यान ने मंगल पर मेडुसे फॉसे फॉर्मेशन (एमएफएफ) नामक एक रहस्यमय क्षेत्र का पता लगाया था। इसके बाद ग्रह की सतह के रहस्यों को जानने के लिए इस क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया गया। प्रमुख शोधार्थी थॉमस वॉटर्स ने बताया, हमने मार्स एक्सप्रेस के मार्सिस रडार से नए डाटा का उपयोग कर एमएफएफ को जानने की कोशिश की है। हमने पाया कि यह क्षेत्र एक जमा हुआ इलाका है और इसकी परत करीब 3.7 किलोमीटर तक मोटी है। हैरानी वाली बात यह है कि रडार सिग्नल से यह पता चला है कि यह जमा हुआ क्षेत्र परतदार बर्फ हो सकती है। यह मंगल के ध्रुवीय इलाकों के समान इलाका है, जहां बर्फ की उम्मीद की जाती है। ऐसा अनुमान लगाया गया है कि यदि इस क्षेत्र की बर्फ पिघली तो मंगल ग्रह की सतह 1.5 से 2.7 मीटर गहरे पानी में ढक सकती है। यह मंगल ग्रह के इस क्षेत्र में खोजे गए सबसे बड़े जल भंडार का हो सकता है, जिसमें पृथ्वी के लाल सागर की मात्रा के बराबर पानी है।
नासा से हेलीकॉप्टर का दोबारा हुआ संपर्क
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ को मंगल ग्रह पर मौजूद अपने इनजेन्यूटी हेलिकॉप्टर से दोबारा संपर्क स्थापित करने में सफलता मिल गई। नासा ने इसकी जानकारी शनिवार को अपने ‘एक्स’ हैंडल के जरिए दी। अंतरिक्ष एजेंसी ने लिखा, ‘गुड न्यूज’। 2021 में इनजेन्यूटी मंगल ग्रह पर पहुंचने वाला यह पहला हेलीकॉप्टर करार दिया गया। मंगल पर इसकी यह 72वीं उड़ान है। हेलीकॉप्टर गुरुवार को भेजा गया था लेकिन लैंडिंग के परसेवरेंस रोवर से संपर्क टूट गया था।