पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के बीच सीट-बंटवारे की बातचीत पटरी पर लौट आई है।उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच सीट बंटवारे पर समझौते की घोषणा कर दी गई है।
पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के बीच सीट-बंटवारे की बातचीत पटरी पर लौट आई है. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच सीट बंटवारे पर समझौते की घोषणा कर दी गई है. वहीं दिल्ली में भी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच डील डन हो गई है. साथ ही साथ अन्य अड़चनों वाले राज्य जैसे पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में भी बातचीत पटरी पर लौट आई है. ऐसे में चलिए आगामी लोकसभा चुनाव से पूर्व हर राज्य में इंडिया गठबंधन की पूरी गणित विस्तार से समझते हैं।
उतार प्रदेश
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस 17 और समाजवादी पार्टी 63 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. बांसगांव, देवरिया समेत 17 सीटें कांग्रेस के पास उम्मीदवार उतारने के लिए हैं. बता दें कि इस मामले में आम सहमति तक पहुंचने में प्रियंका गांधी वाड्रा ने अहम भूमिका निभाई, उन्होंने ने ही अखिलेश यादव को फोन कर डील फाइनल की है।
दिल्ली
अब तक की चर्चा के मुताबिक, दिल्ली की सात लोकसभा सीटों में से आप चार पर और कांग्रेस तीन पर चुनाव लड़ेगी. कांग्रेस पूर्व, चांदनी चौक और उत्तर पूर्व लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ सकती है; जबकि AAP नई दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली और उत्तर पश्चिम लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ सकती है. पंजाब में आप ने कहा कि वह अकेले चुनाव लड़ेगी।
पश्चिम बंगाल
जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस और अधीर चौधरी और ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस के बीच बड़े पैमाने पर टकराव के बाद सीट बंटवारे की बातचीत पटरी पर आ गई है. टीएमसी ने असम में दो और मेघालय में एक सीट मांगी है, जिस पर पश्चिम बंगाल सीट बंटवारे के अलावा चर्चा हो रही है. बता दें कि, पश्चिम बंगाल में 42 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें से 2019 में तृणमूल ने 22 और बीजेपी ने 2 सीटें जीतीं. तृणमूल ने पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को दो से पांच सीटों की पेशकश की है।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में कांग्रेस का गठबंधन उद्धव बाला साहेब ठाकरे की सेना और शरद पवार की एनसीपी के साथ है. राज्य में 48 लोकसभा सीटें हैं और मुंबई में कुछ महत्वपूर्ण सीटों, उदाहरण के लिए दक्षिण मुंबई, को लेकर सेना और कांग्रेस के बीच खींचतान थी, जिसके कारण मिलिंद देवड़ा को कांग्रेस छोड़नी पड़ी. जहां मिलिंद देवड़ा एकनाथ शिंदे की सेना में शामिल हो गए, वहीं बाबा सिद्दीकी कांग्रेस छोड़कर अजित पवार की एनसीपी में शामिल हो गए, जिसके बाद महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए. बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशान ने कहा कि मुंबई युवा कांग्रेस प्रमुख के पद से हटाए जाने के बाद पार्टी बदलने के उनके विकल्प भी खुले हैं।