बिहार : समस्तीपुर मंडल में पहली बार रेलवे अपनी जमीन पर बिजली का उत्पादन करेगा। इसके लिए रेलवे ने कोसी क्षेत्र के मधेपुरा और मिथिलांचल के मधुबनी जिले के पंडौल में जगह चिन्हित की है।समस्तीपुर मंडल के डीआरएम विनय श्रीवास्तव ने कहा कि सार्वजनिक निजी साझेदारी के अंतर्गत मंडल के मधेपुरा में 2.5 मेगावाट और पंडौल में 7.5 मेगावाट कुल दस मेगावाट बिजली का उत्पादन रेलवे की जमीन पर किया जाएगा।
समस्तीपुर मंडल की यह पहली ग्राउंड माउंटेड सौर ऊर्जा परियोजना होगी। इसमें अनुमानित लागत राशि करीब 50 करोड़ रुपए है। उन्होंने कहा कि मधेपुरा में 2.5 मेगावाट सौर ऊर्जा से प्रतिदिन दस हजार यूनिट बिजली का उत्पादन किया जाएगा। पंडौल में 7.5 मेगावाट सौर ऊर्जा से 30 हजार यूनिट बिजली का उत्पादन किया जाएगा। सौर ऊर्जा से प्रतिदिन करीब 3.20 लाख रुपए का बिजली उत्पादन किया जाएगा जिसमें सौर पैनल देखरेख सहित अन्य तरह के खर्च पर करीब 2 लाख रुपए के खर्च आएंगे। करीब सवा लाख रुपए की बचत प्रतिदिन होगी।
इसी वित्तीय वर्ष में पूरा होगा काम
मधेपुरा और पंडौल में जमीन पर बिजली का उत्पादन कार्य इसी वित्तीय वर्ष में पूरा होगा। मधेपुरा स्टेशन से 500 मीटर आगे रेलवे की 26 हजार स्क्वायर मीटर जमीन का बिजली उत्पादन के लिए उपयोग किया जाएगा।
उत्पादित बिजली का इस्तेमाल रेलवे इलेक्ट्रिक ट्रेनों के परिचालन में भी करेगा। डीआरएम ने कहा कि प्रतिदिन करीब 40 हजार यूनिट प्रदूषण मुक्त बिजली का उत्पादन किया जाएगा, जो नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में रेलवे द्वारा उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है। इस परियोजना से रेलवे को सस्ती दरों पर सौर ऊर्जा की प्राप्ति होगी। उत्पादन की अधिकता की स्थिति में बची बिजली का उपयोग बिहार सरकार के विद्युत विभाग के माध्यम से आम जनता के उपयोग के लिए दिया जाएगा। वहीं सौर ऊर्जा परियोजना के क्रियान्वयन से रेलवे की जमीन का सदुपयोग होने से उसका अतिक्रमण भी नहीं होगा।
पहले फेज में 2.5 तो दूसरे में 15 मेगावाट बिजली
मधेपुरा में पहले फेज में 2.5 मेगावाट तो दूसरे फेज में और 15 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा। ग्राउंड माउंटेड सौर ऊर्जा परियोजना के अंतर्गत 15 मेगावाट से 60 हजार यूनिट बिजली का उत्पादन करने की भी आगे की योजना है।
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