झारखंड हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि बच्चे की मां भले ही किसी नौकरी में हो, लेकिन पिता भी बच्चों के भरण-पोषण के लिए जवाबदेह है। इसके साथ ही जस्टिस सुभाष चंद की अदालत ने पिता को प्रतिमाह पांच हजार रुपये नाबालिग बच्चों के भरण पोषण के लिए देने के आदेश को बरकरार रखते हुए याचिका खारिज कर दी।
मामला हजारीबाग से जुड़ा है। हजारीबाग की फैमिली कोर्ट में निभा सिंह नामक महिला ने आवेदन दायर कर कहा था कि जबसे उसने पति के खिलाफ दहेज उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई, वह बच्चों के भरण-पोषण में लापरवाही कर रहा है। जबकि उसके पति को वेतन और पैतृक कृषि भूमि से आय होती है।
फैमिली कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद महिला के पति रघुवर सिंह को आदेश दिया था कि वह दो बच्चों के भरण-पोषण के लिए प्रतिमाह पांच हजार रुपए दे। फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ रघुवर सिंह ने झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उसका कहना था कि वह बेरोजगार है। जबकि, उसकी पत्नी भरण-पोषण आवेदन दायर करने से काफी पहले से नौकरी कर रही है।