भागलपुर: बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर देशभर में मशहूर मुजफ्फरपुर की शाही लीची पर शोध करेगा। जिसमें लीची की गुणवत्ता व कर्मियों की जानकारी इकट्ठा की जाएगी। साथ ही शोध के बाद आसपास के जिलों के किसान भी शाही लीची की खेती कर सकेंगे।
इसके लिए बीएयू के कुलपति डॉ डीआर सिंह ने तीन सदस्यीय वैज्ञानिकों की टीम को शोध की जिम्मेदारी सौंप दी है। टीम में बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर भागलपुर के डिपार्टमेंट ऑफ प्लांट फिजियोलॉजी के वैज्ञानिक अवधेश पाल एवं मीनू कुमारी और बायोटेक्नोलॉजी की फैकल्टी अंकिता नेगी शामिल है।
कृषि विश्वविद्यालय में शाही लीची पर शोध शुरू हो गया है बता दें की टीम ने मुजफ्फरपुर के विभिन्न इलाकों से शाही लीची का नमूना भी इकट्ठा किया है।
सैंपल को जमा कर यह लोग इसकी डिटेल रिपोर्ट तैयार करेंगे जो कुलपति को सौंपी जाएगी। शोध के दौरान लीची में मिलने वाली किसी भी प्रकार की गड़बड़ी का पता लगाकर उसका उपाय भी ढूंढने के काम में वैज्ञानिकों की टीम लगी हुई है। मशहूर शाही लीची के जड़ तक जाकर वैज्ञानिक शोध करने में जुटे हैं।
केवल लीची नहीं इसके छिलके के भी हैं कई फायदे, कैंसर से लड़ने के हैं गुण
एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में शाही लीची के छिलके पर भी अलग से शोध किया जा रहा है। बता दें की लीची के छिलके में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लड़ने की भी क्षमता है। इसमें कैंसर से बचाव के तत्व हैं। वैज्ञानिकों ने बताया कि लीची के छिलके के लाल रंग में एंथोसाइएनिन पाया जाता है।
इसमें काफी मात्रा में पोषक तत्व वह एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। इसके रंग को निकाल कर कई खाद्य पदार्थ जैसे आइसक्रीम, केक, कैंडी में मिलाया जा सकता है जिससे उसकी पौष्टिकता बढ़ जाएगी। खाद्य पदार्थों में इसके छिलके के रंग को मिलाकर खाने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।
इससे कैंसर सहित अन्य बड़ी बीमारियों से बचाव हो सकेगा। शोध के माध्यम से यह प्रयास किया जा रहा है कि भागलपुर सहित आसपास के जिलों के किसान भी शाही लीची की तरह बेहतर किस्म का उत्पादन कर सकें।