Bhagalpur

मोटर हड़ताल से लाखों यात्रियों को हूई परेशानी

बस चालकों की हड़ताल से भागलपुर, नवगछिया,सुल्तानगंज व कहलगांव में यात्रियों को भारी परेशानियों का सामाना करना पड़ा। हड़ताल का असर भागलपुर के 50 हजार से ज्यादा बस यात्रियों पर पड़ा है। शहर के बरारी रोड स्थित सरकारी बस डिपो, जीरोमाइल, डिक्शन मोड़, मोजाहिदपुर आदि इलाकों से अलग-अलग राज्यों और जिलों के लिए खुलने वाली बसें नहीं चलीं। स्टैंड पर पूरा सन्नाटा था।

यात्रियों को नहीं थी सूचना हड़ताल की सूचना यात्रियों को पूर्व से नहीं थी। इस वजह से वे लोग सुबह ही बस स्टैंड पहुंच गए थे। डिक्शन मोड़ के पास नाश्ते की दुकान चलाने वाले अनिल ने बताया कि हड़ताल के कारण पूरा साल का पहला दिन ही बेकार गया। मिठाई दुकानदार अरविंद ने कहा कि हड़ताल को देखकर सामान भी कम बनवाया। बीएसआरटीसी के बस डिपो पहुंचे निरंजन बाबा ने बताया कि उन्हें जरूरी काम से फारबिसगंज जाना है। बस नहीं मिलने पर वह लौट गए।

सरकारी बस डिपो में भी नहीं मिली बस खगड़िया जाने के लिए सरकारी बस स्टैंड पहुंचे प्रकाश कुमार सिंह ने कहा कि जरूरी कार्य से उन्हें जाना था। पहले से जानकारी नहीं थी। इसी तरह श्रीकांत कुमार को पूर्णिया जाने के लिए बस नहीं मिली।

एनएच 31 पर वाहनों की लगी लंबी कतार एनएच-31 पर ट्रकों को लगाकर विरोध करने पर पहली जनवरी को सड़क पर वाहनों की लंबी कतार लग गयी। इससे लोगों को थोड़ी बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा। एनएच-31 पर मकन्दपुर से जीरोमाइल तक जगह-जगह ट्रक खड़े थे।

सुल्तानगंज में सड़क पर उतरे चालक सुल्तानगंज में नवादा व एके गोपालन कॉलेज समीप चालकों ने कुछ देर के लिए विरोध में सड़क पर उतरे। जिससे जाम की स्थिति बन गयी थी। लेकिन पुलिस आने के बाद सभी चालक सड़क से हट गये।

बसों का नहीं चलने का फायदा चार व तिपहिया वाहनों ने उठाया। भागलपुर से अलग-अलग हिस्सों के लिए जाने वाली जगहों का किराया बढ़ा दिया। बांका के विभिन्न स्थानों और झारखंड के कुछ जिलों में जाने के लिए लोगों ने ऑटो, मैजिक का सहारा लिया। ट्रक एसोसिएशन के उपाध्यक्ष मुकेश यादव ने बताया कि चालकों ने 3 दिनों तक हड़ताल की बात कही है।

नुकसान के डर से नहीं चलायी गयीं बसें प्रबंधक

बिहार राज्य पथ परिवहन निगम के प्रमंडलीय प्रबंधक पवन कुमार शांडिल्य ने बताया कि असर सरकारी बसों पर भी पड़ा है। चालक तैयार थे, नुकसान का डर था। भागलपुर, मुंगेर व जमुई डिपो से हर दिन 60-70 बसें खुलती थी, लेकिन हड़ताल के कारण जो बसें अपने गंतव्य पर खड़ी थी, उसमें 6 को अलग-अलग डिपो में मंगा लिया गया।


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Kumar Aditya

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