मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए जिलों में सर्वे कराएगा कृषि मंत्रालय
देश भर में मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए बिहार, झारखंड के दो-दो जिलों सहित कई राज्यों में सर्वे किया जाएगा। केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के निर्देश पर यह सर्वे एग्रो इकोनॉमिक रिसर्च सेंटर (एईआरएस) द्वारा किया जायेगा।
2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में मनाया गया। भारत में भी इसपर तेजी से जोर दिया जा रहा है। इसको बढ़ावा देने के उद्देश्य से मंत्रालय ने टीएमबीयू स्थित एईआरएस को बिहार-झारखंड में इसके लिए सर्वे की जिम्मेवारी दी गई है। दोनों राज्यों में दो-दो जिलों में सर्वे किया जायेगा। सर्वे की रिपोर्ट को-ऑर्डिनेटिंग सेंटर आईआईएम, अहमदाबाद (सेंटर फॉर मैनेजमेंट ऑफ एग्रीकल्चर) को भेजी जाएगी। इसके अलावा केन्द्रीय कृषि मंत्रालय और बिहार सरकार को भी इसकी रिपोर्ट भेजी जाएगी।
बिहार और झारखंड के जिन दो जिलों का चयन किया जायेगा वहां देखा जाएगा कि मोटे अनाज का उत्पादन कहां सबसे कम और सबसे अधिक। सर्वे बिहार-झारखंड के अलावा उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों में भी कराये जायेंगे।
प्रोजेक्ट लीडर डॉ. रामबालक चौधरी ने बताया कि सर्वे में देखा जाना है कि मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, रागी (मड़ुआ), सांवा, कोदो, चेना, कौनी, कुटकी आदि की खेती का क्षेत्र बढ़ा है या घटा है। किन फसलों को हटाकर इसे बढ़ाया जा रहा है।
कम सिंचाई वाले क्षेत्रों में भी अच्छी कमाई
बीएयू के शस्य विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक डॉ. महेश कुमार सिंह ने बताया कि खरीफ एवं गरमा दोनों मौसम में मोटे अनाजों की खेती के लिए बिहार की जलवायु अनुकूल है। बीएयू में छह जिलों में इसपर अनुसंधान कर अधिक उतपादन देने वाली प्रजातियों को चिह्नित किया गया है। इससे कम सिंचाई वाले क्षेत्रों में भी अच्छी कमाई हो सकती है।
Discover more from Voice Of Bihar
Subscribe to get the latest posts sent to your email.