चित्रकूट जिले में आर्यनगर निवासी अंशू कुमार की मौत को लेकर सोमवार को देर शाम तक बवाल होता रहा। जाम लगाकर बैठे परिजनों और अन्य लोगों को समझाने के लिए डीएम और एसपी भी पहुंचे, लेकिन लोग पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई पर अड़े रहे।
तनाव भरे माहौल में किसी अनहोनी से बचने और बचाने के लिए चार थानों और एक पुलिस चौकी की फोर्स बुलाई गई थी। एफआईआर दर्ज होने और थाना प्रभारी समेत चार के निलंबन के बाद परिजनों का गुस्सा शांत हुआ। इसके बाद यातायात भी बहाल हो गया। पांच भाइयों में सबसे छोटे अंशू के बारे में लोगों ने बताया कि रविवार को पहले एक ढाबे के पास ट्रक वालों को जबरन रुकवाने का प्रयास करता रहा।
इसके बाद रेलवे स्टेशन पर कुछ वेंडरों और दुकानदारों से नोकझोंक हुई। शाम से ही मोहर्रम के जुलूस वाले स्थान पर रहा। रात को जुलूस में शामिल मुस्लिम युवक से किसी बात को लेकर कहासुनी हो गई। विवाद बढ़ने पर मौके पर पहुंची पुलिस उसे थाने ले गई। पुलिस का दावा कि वह कुछ देर बाद थाने से छोड़ दिया गया, लेकिन अंशू के परिजनों का फोन आने पर उसके छोड़ने की बात नहीं बताई। उल्टे यह कहा कि सुबह छूट जाएगा।
बताया जाता है कि पुलिस कर्मियों ने रेलवे ट्रैक पर मिले शव को अज्ञात के रूप में प्रचार कर शिनाख्त कराने का इंतजार भी नहीं किया। शायद वह समझ गए थे कि यह वही अंशू है, जिसे वह पकड़कर लाये थे और भाग गया था। विवाद बढ़ने पर मौके पर पहुंची पुलिस उसे थाने ले गई। पुलिस का दावा कि वह कुछ देर बाद थाने से छोड़ दिया गया, लेकिन अंशू के परिजनों का फोन आने पर उसके छोड़ने की बात नहीं बताई। उल्टे यह कहा कि सुबह छूट जाएगा। बताया जाता है कि पुलिस कर्मियों ने रेलवे ट्रैक पर मिले शव को अज्ञात के रूप में प्रचार कर शिनाख्त कराने का इंतजार भी नहीं किया।
शायद वह समझ गए थे कि यह वही अंशू है, जिसे वह पकड़कर लाये थे और भाग गया था। जांच टीम गठित, चार को निलंबित किया अज्ञात में पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। इन्हीं बातों से परिजनों का आक्रोश बढ़ता गया और सुबह से चित्रकूट मानिकपुर मार्ग पर जाम लगा दिया। डीएम शिवशरणप्पा व एसपी अरुण कुमार सिंह ने स्थिति को भांपते हुए मौके पर पहुंचकर जानकारी ली।