छटवें चरण में देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में कुल 14 सीटों के लिए मतदान हो रहा है।
मुख्य तथ्य
- 14 सीटों पर कुल 162 प्रत्याशी लड़ रहे चुनाव, बीजेपी के पास थी कितनी सीट
- कई छोटे दलों की सांख दांव पर, स्थानीय गुटबंदी कर सकती है मश्किलें खड़ी
- इन 14 सीटों में ज्यादातर पर था बीजेपी का कब्जा, इस बार भी कांटे की टक्कर
छटवें चरण में देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में कुल 14 सीटों के लिए मतदान हो रहा है. जिन पर 162 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. आपको बता दें कि इन 14 सीटों में फूलपुर, प्रयागराज, डुमरियागंज सहित कई वीआईपी सीट भी शामिल हैं. हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव की बात करें तो ज्यादातर पर बीजेपी का कब्जा था. लेकिन कई सीटें ऐसी थी जिन पर बीजेपी कम अंतर से जीती है. अब देखना ये है कि इस बार कौन बाजी मारेगा. हालांकि इस चरण में कई छोटे दलों की भी प्रतिष्ठा दांव लगी है. क्योंकि ऐसे दल एक-एक सीट के लिए चुनाव मैदान में है. जिनकी वजह से उनके नेता राज्य सरकार में मंत्री तक बने हैं…
यूपी में इन सीटों पर वोटिंग
छटवें चरण में सुलतानपुर, प्रतापगढ़, फूलपुर, इलाहाबाद, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, डुमरियागंज, बस्ती, संत कबीर नगर, लालगंज, आजमगढ़, जौनपुर, मछलीशहर व भदोही सीट के लिए मतदान चल रहा है. ये सभी पूर्वी उत्तर प्रदेश की ऐसी सीटें हैं जिन पर छोटे दलों की भी साख का सवाल है. सुल्तानपुर से पूर्व केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी चुनाव लड़ रही है. यहां बीजेपी के निषादों के सहेजना बड़ी चुनौती हो सकती है. हालांकि वे इस सीट से पहले भी चुनाव जीत चुकी हैं. लेकिन क्या इस बार समाजवादी पार्टी के रामभूल निषाद को हरा पाएंगी. इसके लिए तो चार जून का इंतजार करना होगा…
संतकबीरनगर पर भी कांटे की टक्कर
संतकबीरनगर से भाजपा ने निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे प्रवीण को मैदान में उतारा है. ऐसे में यहां बीजेपी के साथ निषाद पार्टी की भई प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. क्योंकि प्रवीण निषाद को चुनौती देने के लिए समाजवादी पार्टी ने पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत निषाद उर्फ पप्पू को टिकट दिया है. अब निषाद वोट किसके खाते में जाएगा. वहीं बसपा ने नदीम अशरफ के जरिये मुसलमानों में बंटवारा का दांव चला है.
यहां दो घरानों के बीच सियासी संग्राम
भाजपा ने विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष केसरीनाथ त्रिपाठी के बेटे नीरज त्रिपाठी को मैदान में उतारा है, तो कांग्रेस ने पूर्व सांसद रेवती रमण सिंह के बेटे पूर्व मंत्री उज्ज्वल रमण सिंह पर दांव लगाया है. बसपा ने रमेश पटेल को मैदान में उतार कर दलित-कुर्मी वोटबैंक सहेजने की कोशिश की है. यहां प्रत्याशी भले कई हों, पर मुख्य लड़ाई दो घरानों के बीच ही है. हालांकि मुकाबला त्रिकोणीय बताया जा रहा है. जिसके चलते कुछ भी कहना आसान नहीं होगा..