Voice Of Bihar

खबर वही जो है सही

ये सिर्फ रिपोर्ट.. फैसला नहीं! ASI Gyanvapi Survey पर पैनल की तीखी प्रतिक्रिया

ByLuv Kush

जनवरी 27, 2024
IMG 8739

ASI की इस रिपोर्ट में ये स्पष्ट किया गया है कि, ज्ञानवापी मस्जिद एक बड़े हिंदू मंदिर के अवशेषों पर बनाई गई थी।ऐसे में अब मस्जिद प्रबंधन समिति ने इस रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।

ASI की सर्वे रिपोर्ट अदालत का फैसला नहीं… ये कहना है ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली समिति अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी (Anjuman Intezamia Masajid Committee) का. दरअसल बीते कई वक्त से वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के निकट स्थित ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर अदालती विवाद जारी है. जहां एक ओर हिंदू पक्ष का दावा है कि, ये मस्जिद मंदिर पर बनाई गई है, जबकि मुस्लिम पक्ष इसकी खिलाफत कर रहे हैं. इसी बीच अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को इसकी जांच करने की जिम्मेदारी सौंपी थी, जिन्होंने हाल ही में अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश कर दी है।

गौरतलब है कि, ASI की इस रिपोर्ट में ये स्पष्ट किया गया है कि, ज्ञानवापी मस्जिद एक बड़े हिंदू मंदिर के अवशेषों पर बनाई गई थी. ऐसे में अब मस्जिद प्रबंधन समिति ने इस रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने इसे महज एक दस्तावेज़ करार देते हुए कहा है कि, ये अदालत का फैसला या “अंतिम शब्द” नहीं है।

यह सिर्फ एक रिपोर्ट है.. फैसला नहीं…

साथ ही उन्होंने कहा कि, वे ASI सर्वेक्षण रिपोर्ट का अध्ययन कर रहे हैं. मोहम्मद यासीन, जो समिति के सचिव हैं उन्होंने इसपर बोलते हुए कहा कि, “यह सिर्फ एक रिपोर्ट है, ‘फैसला’ नहीं. कई तरह की रिपोर्टें हैं. यह इस मुद्दे पर अंतिम शब्द नहीं है।”

उन्होंने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 से जुड़े मामले की सुनवाई करेगा तो मुस्लिम पक्ष अपने विचार पेश करेगा।

ASI को मस्जिद के अंदर मिले मंदिर के अवशेष…

वहीं बीते गुरुवार, ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ मंदिर मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा था कि, ASI को मस्जिद के अंदर एक मंदिर के अवशेष मिले थे. उन्होंने कहा कि मस्जिद औरंगजेब ने एक मंदिर को तोड़कर बनाई थी. जैन ने यह भी दावा किया कि सर्वेक्षण के दौरान दो तहखानों में हिंदू देवताओं की मूर्तियों के अवशेष पाए गए. रिपोर्ट का हवाला देते हुए, जैन ने कहा कि मस्जिद के निर्माण के लिए पहले से मौजूद मंदिर के कई हिस्सों का पुन: उपयोग किया गया था।