रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए उप्र. डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में 3 अत्याधुनिक परीक्षण सुविधाएं होंगी स्थापित
रक्षा मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारे के अंतर्गत मानव रहित हवाई प्रणाली, संचार और यांत्रिक एवं सामग्री क्षेत्रों में परीक्षण सुविधाएं स्थापित करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। मंगलवार (30 जुलाई ) को नई दिल्ली में उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारे के तहत तीन अत्याधुनिक परीक्षण सुविधाएं स्थापित करने के लिए उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के साथ एक समझौता किया है। इसके तहत लखनऊ में एक और कानपुर में दो सुविधाएं स्थापित की जाएंगी।
उल्लेखनीय है, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मई, 2020 में 400 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ डिफेन्स टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्कीम (डीटीआईएस) शुरू की थी, जिसका उद्देश्य निजी उद्योग, केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से अत्याधुनिक परीक्षण सुविधाएं स्थापित करना, स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देना, आयात को कम करना और आत्मनिर्भरता को बढ़ाना है। उसी समय रक्षा औद्योगिक गलियारों के भीतर रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्रों को गति देने के लिए तमिलनाडु में चार और उत्तर प्रदेश में तीन परीक्षण सुविधाओं को मंजूरी दी गई थी।
उत्तर प्रदेश डिफेन्स इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में तीन परीक्षण सुविधाएं स्थापित करने के लिए समझौता ज्ञापन पर आज हस्ताक्षर किए गए हैं। रक्षा परीक्षण अवसंरचना योजना के तहत समझौता ज्ञापन रक्षा मंत्रालय और उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच किया गया। इसके तहत लखनऊ में मैकेनिकल और मैटेरियल डोमेन में एक और कानपुर में मानव रहित हवाई प्रणाली और संचार डोमेन में एक-एक सुविधाएं स्थापित की जाएंगी। तमिलनाडु रक्षा औद्योगिक गलियारे के तहत चेन्नई में यूएएस, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर और इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स के क्षेत्र में तीन सुविधाएं स्थापित करने के लिए समझौते पर 02 जुलाई को हस्ताक्षर किए गए थे।
डिफेन्स टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्कीम के तहत 75 फीसदी तक सरकारी निधि ‘अनुदान सहायता’ के रूप में दी जाती है, जबकि शेष 25 फीसदी हिस्सा भारतीय निजी संस्थान, राज्य और केंद्र सरकार से उपलब्ध कराया जाता है। परियोजना के पूरा होने पर ये सुविधाएं सरकारी और निजी दोनों संस्थाओं को उन्नत परीक्षण उपकरण और सेवाएं प्रदान करेंगी। साथ ही परीक्षण क्षमताओं और प्रक्रियाओं को बढ़ाने के लिए राजस्व का पुनर्निवेश किया जाएगा, जिससे रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।
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