रेलवे में नौकरी के बदले जमीन और फ्लैट रजिस्ट्री कराने के मामले में तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद और उनके कर्मचारियों के खिलाफ शिकंजा कसता चला जा रहा है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में सोमवार को इस मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट ने सक्षम पदाधिकारी को लालू और अन्य सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ मंजूरी के सवाल पर दो हफ्ते में फैसला लेने को कहा है।
दरअसल, सीबीआई की ओर से दायर निर्णायक आरोप पत्र कंसिडरेशन के स्टेज में है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कुछ अन्य दस्तावेजों को जमा करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने 15 जुलाई का दिन तय किया था। इस मामले में न सिर्फ लालू प्रसाद और उनके परिवार के लोगों पर आरो है बल्कि सरकारी कर्मचारियों पर भी गंभीर आरोप हैं, उनके खिलाफ भी केस चलाना है।
ऐसे में सरकारी कर्मियों के खिलाफ केस चलाने के लिए उनके विभाग से मंजूरी जरूरी है। इसके लिए कोर्ट ने दो सप्ताह की मोहलत दी है। राउज एवेन्यू कोर्ट में सोमवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए सक्षम पदाधिकारी को लालू और अन्य सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी के सवाल पर दो हफ्ते में फैसला लेने को कहा है। इस मामले पर 31 जुलाई को अगली सुनवाई होगी।
इस मामले में ED और CBI दोनों जांच एजेंसियों का शिकंजा लालू परिवार पर कसता जा रहा है। माना जा रहा है कि इस मामले में लालू परिवार के साथ साथ घोटाले में संलिप्त सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की मुश्किलें भी बढ़ने वाली हैं। ED ने इस मामले में तेजस्वी करीबी अमित कात्याल और लालू के ओएसडी रहे भोला यादव को गिरफ्तार कर चुकी है। इस मामले में भोला यादव और अमित कात्याल के अलावा लालू यादव, तेजस्वी, राबड़ी मीसा सभी जमानत पर हैं। केस की सुनवाई दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट में चल रही है।