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राजद ने 65 फीसदी आरक्षण को लेकर संसद में खोला मोर्चा, संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर प्रदर्शन

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बिहार में बढ़ाए गए आरक्षण कोटे को भारतीय संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर गुरुवार को राजद सांसदों ने संसद में विरोध प्रदर्शन किया. बिहार में पिछले वर्ष आई जाति गणना रिपोर्ट के बाद राज्य की तत्कालीन महागठबंधन सरकार (राजद-जदयू-कांग्रेस और वाम दलों का गठबंधन) ने ओबीसी, एससी और एसटी वर्गों के आरक्षण को बढ़ाकर 65 फीसदी करने की घोषणा की थी. साथ ही इसे भारतीय संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने की केंद्र की मोदी सरकार से मांग की थी. हालांकि बाद में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू महा गठबंधन से अलग हो गई और एनडीए के साथ हो गई. वहीं बिहार में बढ़ाए गए आरक्षण पर पहले पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी और अब इसी सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने भी बिहार सरकार को झटका दे दिया. इन सबके बीच केंद्र सरकार ने भी बिहार में बढ़ाए गए आरक्षण कोटे को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल नहीं किया है.

अब इसी को लेकर राजद सांसदों ने संसद में विरोध प्रदर्शन किया है. राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा, लोकसभा सांसद मीसा भारती सहित पार्टी के दोनों सदनों के सासंदों ने एक साथ हाथों में तख्तियां लेकर संसद भवन के प्रवेश द्वार पर प्रदर्शन किया. आरजेडी सांसद मीसा भारती ने कहा कि हम इस बात का विरोध कर रहे हैं कि जब बिहार में महागठबंधन की सरकार थी, सीएम नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम थे – तब से हमारी जाति जनगणना की मांग लंबे समय से रही है। लंबे समय के बाद, बिहार में ऐसा किया गया – हम चाहते हैं कि दलितों, आदिवासियों और ओबीसी का आरक्षण जिसे हमने बढ़ाकर 65% किया है, उसे संरक्षित किया जाना चाहिए. इसे भारतीय संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाए.

राजद ने कहा कि केंद्र की डबल इंजन सरकार ने बिहार में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में दलितों, पिछड़ों, अतिपिछड़ों और आदिवासियों के लिए बढ़ायी गयी 65% आरक्षण सीमा को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने से इनकार कर दिया है। आरक्षण विरोधी NDA सरकार के इस निर्णय के विरुद्ध बिहार से राजद, माले और कांग्रेस के सांसदों ने आज संसद में प्रदर्शन किया।

कोर्ट से लगा झटका :  दरअसल, दो दिन पहले ही  Bihar Reservation Act आरक्षण सीमा को 50 से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार को झटका दिया. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य में संशोधित आरक्षण कानूनों को रद्द करने वाले पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. हालांकि शीर्ष अदालत ने इस मामले में अपील की इजाजत दे दी है और कहा है कि याचिकाओं पर सितंबर में सुनवाई की जाएगी. वहीं बिहार में इसे लेकर सियासी दलों के बीच तनातनी बनी है.

किस वर्ग को कितना आरक्षण : पिछले वर्ष बढ़ाए गए आरक्षण के आधार पर अनुसूचित जातियों के लिए कोटा 16 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत, अनुसूचित जनजातियों के लिए 1 प्रतिशत से बढ़ाकर 2 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ी जातियों के लिए 18 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत किया गया है, जो कुल मिलाकर जाति-आधारित आरक्षण में 65 प्रतिशत है. आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत कोटा शामिल करते हुए नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में कुल आरक्षण 75 प्रतिशत होगा. हालांकि अब इस पर कोर्ट ने रोक लगा दी है.


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