जम्मू-कश्मीर के पूंछ में गुरुवार को हुए हमले में भारतीय सेना के पांच जवान शहीद हो गए। इनमें नवादा के वारिसलीगंज प्रखंड स्थित नारोमुरार गांव के चंदन कुमार भी थे। नवादा वासियों ने जवानों के बलिदान पर शोक जताया।
वीर बलिदानी चंदन कुमार का पार्थिव शरीर सोमवार को पूरे सम्मान के साथ नवादा होते हुए पैतृक गांव तक पहुंचा। इससे पहले जम्मू से पार्थिव शरीर को वायुयान के जरिए गया एयरपोर्ट पर लाया गया। वहां से सेना के जवानों ने तिरंगे में लिपटे हुए बलिदानी चंदन कुमार को सड़क मार्ग से नवादा तक लाया।
जहां पुलिस लाइन केंद्र, नवादा में फूलों से सज-धजकर तैयार वाहन पर पार्थिव शरीर को रखकर नवादा शहर के सद्भावना चौक, मेन रोड, प्रजातंत्र चौक, भगत सिंह चौक होते हुए एनएच-20 खरांठ मोड़ के रास्ते वारिसलीगंज बाजार के विभिन्न चौक से घुमाते हुए अंतिम विदाई दी गई।
30 फौजी जवान साथ में आए
बलिदानी को सम्मान देने के लिए भारतीय सेना के जनरल कमांडिंग अफसर मेजर जनरल विशाल अग्रवाल सेना मेडल, दानापुर आर्मी कैंट के कर्नल रमन समेत कुल 30 फौजी जवान साथ में आए थे। इस बीच बलिदानी के पार्थिव शरीर के साथ निकाली गई तिरंगा यात्रा में हजारों की तादाद में लोग शामिल हुए।
चंदन के भाई ने बिहार सरकार को घेरा
वहीं, शहीद चंदन के बड़े भाई पीयूस ने बिहार सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सरकार से इस मामले में कोई मांग करना व्यर्थ है।
उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने जातीय गणना कराकर पहले समाज को बांट दिया है, सरकार पहले ही मान चुकी है कि किस जाति का बेटा शहीद होगा तो उसके अंतिम यात्रा में उन्हें शामिल होना है। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार की तरफ से शहीद चंदन के लिए एक ट्वीट भी नहीं किया गया है।
सरकार को गठबंधन की चिंता
चंदन के भाई पीयूस ने आगे कहा कि बिहार सरकार की तरफ से यह तक नहीं कहा गया कि इस राज्य का जवान और एक बेटा देश के लिए शहीद हो गया। उन्होंने कहा कि सरकार को शर्म आनी चाहिए। उन्होंने आगे यह भी कहा कि सरकार को केवल गठबंधन की चिंता, शहीद के लिए उन्होंने अब तक कुछ नहीं किया।
यूपी सरकार की तारीफ
चंदन के भाई ने यूपी सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार नए शहीद को 50 लाख कैश, एक नौकरी और शहीद के नाम से सड़क बनाने का फैसला लिया है। और बिहार में क्या हुआ?
उन्होंने कहा कि उनके भाई का पार्थिव शरीर पिछले पांच दिनों से जम्मू में था, बिहार के किसी भी मंत्री और नेता ने उन्हें लाने की हिम्मत नहीं जुटाई। यहां तक कि अब तक कोई मिलने तक नहीं आया।