रामलला की पुरानी मूर्ति के दर्शन पर लगाई पाबंदी, गर्भगृह को 81 ‘कलश’ के पानी से धोया गया
अभी तक विभिन्न अनुष्ठानों से गुजर चुकी है. मूर्ति के पूजन के लिए तमिलनाडु, महाराष्ट्र और कोलकाता समेत देश भर के स्थानों से फूल लाए गए हैं।
Highlightes
- स्नापन नामक एक अनुष्ठान करीब तीन घंटे तक चला
- बिहार और नेपाल के सीतामढी समेत कई स्थानों से लाया गया पानी
- हवन मंदिर स्थल से दूर मंडप के आसपास शाम तक जारी रहेगा
अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में अब 48 घंटे से कम समय बचा है. इससे पहले रामलला की 51 इंच की प्रतिमा के नजदीक अनुष्ठानों का एक विस्तृत और लंबा सेट शनिवार को पूरा किया गया. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अनुष्ठान में शामिल सूत्रों का कहना है कि नई मूर्ति की आंखें अभी भी कपड़े से ढकी हुई हैं. अभी तक ये विभिन्न अनुष्ठानों से गुजर चुकी है. मूर्ति के पूजन के लिए तमिलनाडु, महाराष्ट्र और कोलकाता समेत देश भर से फूल लाए गए हैं. यह अनुमानित 50 किलोग्राम हैं. फूलों में कमल, गुलाब, चमेली और गुलदाउदी आदि शामिल हैं।
स्नापन नामक एक अनुष्ठान करीब तीन घंटे तक चला. गर्भगृह को 81 ‘कलश’ के पानी से धोया गया. यह पानी बिहार और नेपाल के सीतामढी समेत कई धार्मिक स्थानों और नदियों से लाया गया था. नेपाल के सीतामढी को मां सीता का जन्मस्थान बताया गया है. इन कलशों में ‘गौमूत्र के साथ औषधीय जल’ के साथ फलों का रस रखा गया।
कब से होंगे दर्शन
‘रामलला विराजमान’ यानी अस्थायी मंदिर में पुरानी मूर्ति के दर्शन पर रोक लगाई गई है. अस्थायी मंदिर में रामलला के पुजारी सत्येंद्र दास का कहना है कि इसे रविवार शाम को गर्भगृह में जाया जाएगा. नई मूर्ति के साथ दर्शन 23 जनवरी से दोबारा से शुरू होने की संभावना है. इन अनुष्ठानों में मूर्ति को चीनी और मिठाई अर्पित की जाती है. इसके बाद फल और फूल अर्पित किए जाते हैं।
अनुष्ठानों में रविवार से पहले ‘शकराधिवास’, ‘फलाधिवास’ और ‘पुष्पाधिवास’ का रखा गया था. इन अनुष्ठानों में मूर्ति को चीनी और मिठाई अर्पित की जाती है. इसके बाद फल और फूलों के साथ पूजा खत्म होती है. शुक्रवार से ये आरंभ हुआ. हवन मंदिर स्थल से करीब 100 मीटर दूर मंडप के आसपास शाम तक जारी रहने वाला है।
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