लाल सागर में जहाजों का आवागमन बिगड़ा तो भारत की बढ़ी टेंशन, देश के तेल खरीद पर दिखेगा असर

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लाल सागर में स्थित बाब-अल-मनदब खाड़ी में वाणिज्यिक जहाजों का आवागमन अवरुद्ध होने पर भारत ने एक बार फिर गंभीर चिंता जताई है। एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाउती आतंकियों की तरफ से जहाजों पर हो रहे हमलों को लेकर चिंता प्रकट की थी और अब विदेश मंत्रालय ने भी कहा है कि भारत का हित इस क्षेत्र से जुड़ा हुआ है एवं वह इससे चिंतित है।

मामले के समाधान के लिए भारत अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ ही खाड़ी क्षेत्र के अपने मित्र देशों जैसे सऊदी अरब, यूएई और अफ्रीका महाद्वीप के देश इथोपिया, मिस्त्र के भी संपर्क में है। विदेश मंत्रालय ने यह संकेत भी दिया है कि इस स्थिति से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक कार्यदल गठित करने की तैयारी हो रही है और भारत इसका सदस्य बन सकता है।भारत की चिंता की असली वजह यह है कि देश का आयात-निर्यात काफी हद तक इसी रास्ते से होता है। बाब-अल-मनदब खाड़ी लाल सागर को अरब सागर से जोड़ती है। इससे होते हुए जहाज स्वेज नहर होकर यूरोपीय और अमेरिकी बाजारों तक जाते हैं। इसके प्रभावित होने से जहाजों को पूरे अफ्रीका महाद्वीप का चक्कर लगाकर जाना पड़ रहा है जिससे मालवाहन की लागत में खासी वृद्धि होने की सूचना है।भारत की मुख्य चिंता कच्चे तेल की आपूर्ति को लेकर

भारत की मुख्य चिंता कच्चे तेल की आपूर्ति को लेकर है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत जितना कच्चा तेल खरीदता है उसका बहुत बड़ा हिस्सा इसी रास्ते से आता है। ऐसे में ज्यादा दिनों तक इसके प्रभावित होने से तेल खरीद की लागत बढ़ सकती है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस मुद्दे को मंगलवार को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ वार्ता में उठाया थासंगठन को ईरान का समर्थन प्राप्त- इजरायल

हाउती यमन में सक्रिय आतंकी संगठन है जिसने हाल में बाब-अल-मनदब खाड़ी से गुजरने वाले जहाजों पर हमले किए हैं। उसका कहना है कि वह इजरायल द्वारा गाजा पट्टी में हमलों का बदला लेने के लिए ऐसा कर रहा है। वहीं, इजरायल का आरोप है कि इस संगठन को ईरान का समर्थन प्राप्त है। कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ इसे ईरान और सऊदी अरब और यूएई के बीच पुरानी प्रतिस्पर्धा का असर भी बता रहे हैंसभी मित्र देशों के संपर्क में भारत

बहरहाल, भारतीय विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने कहा है कि वह सभी मित्र देशों के संपर्क में है। खासकर सऊदी अरब, यूएई और इथियोपिया के साथ। इन तीनों देशों के साथ भारत ने समुद्री क्षेत्र में सहयोग का समझौता कर रखा है जिसके तहत साथ मिलकर अपने वाणिज्यिक जहाजों को सुरक्षा देने और निगरानी का काम हो सकता है।

 

इस बाबत विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘इस क्षेत्र से भारत का हित जुड़ा हुआ है और हम हमेशा से वाणिज्यिक जहाजों के खुले तौर पर आवागमन की आजादी के पक्षधर रहे हैं। हम पूरी स्थिति पर नजर रखे हैं। वैश्विक स्तर पर जो कोशिशें हो रही हैं, भारत उसका भी हिस्सा है। कार्यदल के गठन को लेकर भी बात चल रही है। हम कोशिश कर रहे हैं कि इस क्षेत्र में जहाजों का आवागमन प्रभावित न हो।’।।

 

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