वट सावित्री व्रत को लेकर सुहागिन महिलाओं ने बुधवार को निर्जला उपवास रखा। इस बार अमावस्या गुरुवार को है। सुहागिनें फल-पकवान से डलिया भरकर गुरुवार को बरगद की पूजा करेंगी। व्रत को लेकर बाजार में फल-पकवान, बांस के पंखे, डलिया की खरीदारी आदि के लिए बुधवार देर शाम तक भीड़ लगी रही।
पति की दीर्घायु की कामना के लिए महिलाएं वट सावित्री व्रत करती हैं। वट सावित्री व्रत के एक दिन पूर्व महिलाएं नये कपड़े पहन सोलहों शृंगार करती हैं। हाथ में मेहंदी रचाती हैं। उपवास कर महिलाएं पांच तरह के फल-पकवान आदि से डलिया भरती हैं। सुबह दूसरे दिन वट वृक्ष के समक्ष डलिया खोलकर बांस के पंखे पर पकवान आदि रखकर सावित्री और सत्यवान की कथा कही और सुनी जाती है। पंडित सौरभ मिश्रा के अनुसार वट सावित्री की पूजा के समय महिलाएं बाल में बरगद के पत्ते लगाती हैं। बांस पंखा में भी लाल धागा बांधकर पूजा करने के बाद वटवृक्ष को ही पहले पंखा झेलने की परंपरा रही है।