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वायनाड में कुदरत ने बरपाया कहर, वैशाली के गोरौल में मचा कोहराम, कई परिवारों पर टूटा दु: खों का पहाड़

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केरल के वायनाड में कुदरत का कहर देखने को मिला। जहाँ हुए भूस्खलन से अबतक 100 से अधिक लोगो की जान चली गई है। लेकिन इस हादसे का बड़ा असर केरल से हजारो किलोमीटर दूर वैशाली में हुआ है। जहाँ के आधा दर्जन से अधिक लोग लापता है। जबकि एक युवक घायल है तो वहीं दो लोग इस हादसे में बाल बाल बच गए हैं। दरअसल वैशाली के ग़ोरौल प्रखंड क्षेत्र स्थित पोझा गांव के कई लोग दो जून की रोटी के लिए अपने परिवार से दूर मजदूरी करने के लिए केरल के वायनाड गए थे। इसी बीच वहां भूस्खलन हो गया।

बताया जा रहा है कि गांव के सुरेंद्र पासवान का पुत्र बिजनेशिया पासवान भी लापता होने वालों में शामिल है। जिसके घर पर खबर मिलते ही मातम छा गया है। बिजनेशिया पासवान कि पत्नी मछिया देवी की हालत खराब हो गई है तो उसके बच्चे अपने पिता के सकुशल होने और घर आने की बाट जोह रहे है। बिजनेशिया के पिता सुरेंद्र पासवान घर के बाहर खटिये पर पड़े है और अपने बेटे के सलामती के लिए भगवान से प्रार्थना कर रहें है। लेकिन जो खबर मिल रही है उसके अनुसार बिजनेशिया पासवान भूस्खलन का शिकार हो गया है और उसका कोई पता नहीं चल रहा है।

 

बिजनेशिया पासवान घर मे एक मात्र कमाने वाला बेटा था। जिसके सहारे उसका परिवार जीवन यापन कर रहा था। कुछ ऐसा ही हाल गांव के उपेंद्र पासवान के घर का भी है जिनके पिता अपने बेटे और बहू की कोई खोज खबर नहीं मिलने से परेशान है। उपेंद्र अपनी पत्नी फूल कुमारी के साथ वायनाड में ही रहता था। उसके पिता ने बताया कि तीन दिन पहले बेटे से आखिरी बार बात हुई थी। लेकिन उन्हें नहीं मालूम था कि अचानक उनका बेटा और बहू इस तरह हादसे का शिकार हो जाएंगे। इसी परिवार के रिश्तेदार रंजीत पासवान और साधु पासवान भी लापता है जो वैशाली जिले के ही जंदाहा के रहने वाले है और सभी एक साथ वायनाड में रह कर काम धंधा करते थे। हालांकि पोझा गांव के ही धर्मेंद्र राय और राजेश राय इस हादसे में बाल बाल बच गए है जिसके बाद इनके परिजनों ने राहत की सांस ली है। हालांकि इस हादसे में बाल बाल बचे अरुण पासवान की पत्नी कविता देवी भी अपने पति की कुशलता को लेकर चिंतित है। अरुण पासवान भूस्खलन का शिकार तो हुआ। लेकिन वह बाल बाल बच गया। लेकिन उसे काफी गंभीर चोट आई है जिस कारण वह अस्पताल में भर्ती है।
बहरहाल इस कुदरत के कहर ने कई जिंदगियां तबाह कर दिया है। लेकिन सबसे अहम सवाल यह है कि आखिर कबतक पेट की भूख मिटाने के लिए बिहार के लोग दूसरे राज्यो में पलायन करते रहेंगे और कब तक वह हादसे का शिकार होते रहेंगे। बता दे कि इस गांव के 30 से 40 लोग दो से डेढ़ माह पहले चाय बागान में काम करने के लिए केरल के वायनाड गये थे।


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