भागलपुर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा नालंदा में केंद्रीय विश्वविद्यालय के नए कैंपस के उद्घाटन और उसके खंडहर का बारीकी से निरीक्षण करने के बाद अब कभी देश विदेश में ज्ञान का रौशनी फैलाने वाले भागलपुर के कहलगांव अंतिचक स्थित विक्रमशीला विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित किए जाने को लेकर भागलपुर के सभी सामाजिक सांस्कृतिक संगठनों, इतिहासकार और दल के दलदल से ऊपर उठकर लोग सत्याग्रह पर बैठ गए हैं।
हम आपको बता दें कि प्रधानमंत्री ने नालंदा विश्वविद्यालय के साथ-साथ विक्रमशिला विश्वविद्यालय को एक साथ जीवंत किए जाने और विकसित किए जाने को लेकर 2014 ईस्वी घोषणा की थी। प्रधानमंत्री के घोषणा के 10 वर्षों के बाद नालंदा विश्वविद्यालय को बन कर तैयार हो गया ,लेकिन अब तक राज्य सरकार और जिला प्रशासन की उदासीनता के कारण आठवीं शताब्दी में पाल राजवंश के द्वारा स्थापित विक्रमशिला विश्वविद्यालय के खंडहर को पुनर्जीवित किया जाने को लेकर कोई पहल की शुरुआत नहीं की गई है।
जिससे लोगों में आक्रोश भी देखा जा रहा है , स्थानीय बुद्धिजीवी राज्य सरकार और केंद्र सरकार से बिहार और देश में शिक्षा में क्रांति ले जाने को लेकर विक्रमशिला विश्वविद्यालय के पुनर्स्थापना की मांग कर रहे है।