वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए केंद्रीय वित्त आयोग की रिपोर्ट में अनुशंसा आनी चाहिए। अनुशंसा के आधार पर ही बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के बारे में आगे विमर्श किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि बिहार को यूपीए सरकार से ज्यादा एनडीए सरकार में केंद्र से राशि मिल रही है। 2015 में बिहार के लिए 1.25 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की गई थी। मंगलवार को वित्तमंत्री भाजपा मीडिया सेंटर में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रही थीं। कहा कि बिहार के युवा वोटरों को जानना जरूरी है कि लालू-राबड़ी के शासनकाल में जंगलराज के कारण बिहार में विधि व्यवस्था की ही समस्या नहीं हुई थी, बल्कि आर्थिक रूप से भी बिहार पिछड़ गया था। बहुत मेहनत से एनडीए सरकार ने बिहार को वहां से बाहर निकाला है।
1991 में ओडिशा की प्रति व्यक्ति आय 20591 रुपये थी, जबकि बिहार में 21282 रुपये थी। 1990 के बाद बिहार में 33 फीसदी की गिरावट आई, जबकि उड़ीसा में 31 प्रतिशत बढोतरी हुई। 2002 में बिहार में प्रति व्यक्ति आय गिरकर 14209 हो गई। 2002 के बाद 2019 में प्रति व्यक्ति आय 37 हजार से ज्यादा पहुंची। उन्होंने कहा कि केंद्र में इंडी गठबंधन की सरकार बनी तो वह एससी, एसटी और ओबीसी का आरक्षण काट कर मुस्लिम वर्ग के लोगों को दे देगी। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मूलमंत्र सबका साथ, सबका सम्मान और सबका विकास है। बिहार और झारखंड (संयुक्त बिहार) से कोयला सहित खनिज दूसरे राज्यों में यहां की दर से ही भेजने की इस पॉलिसी ने बिहार में कारखाना नहीं लगने दिया। मौके पर असम के मंगलादोई के सांसद दिलीप सैकिया, राष्ट्रीय महामंत्री ऋतुराज सिन्हा, जगन्नाथ ठाकुर,दानिश इकबाल, सुरेश रूंगटा,अमित प्रकाश मौजूद थे।